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Janmashtami 2021: जानें मोर पंख का महत्व जिसे श्री कृष्ण ने किया था अपने शीश पर धारण

kumari sunidhiraj My jyotish expert Updated Thu, 26 Aug 2021 06:56 PM IST
मोर पंख महत्व
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प्राचीन काल (ancient time) से ही नजर उतारने एवं भगवान की प्रतिमा के आगे वातावरण को पवित्र करने के लिए मोर पंख का ही प्रयोग होता आया है। आपने देखा होगा कि जैन मुनि भी अपने साथ मोर पंख की पिच्छिका रखते हैं। दरअसल, मोरपंख सकारात्मकता का प्रतीक है, जिसका शरीर (body) व स्वास्थ्य (health) पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसलिए मोरपंखों को छोटे बच्चों के सिर पर लगाने या उनके बिस्तर (bed) के नीचे रखने की मान्यता पुरातन-काल से चली आ रही है। द्वापर के कान्हा भी इसीलिए मोरमुकुट से सुशोभित हुए। वस्तुतः मोर (peacock) ही अकेला एक ऐसा प्राणी है,जो ब्रह्मचर्य को धारण करता है।अतः प्रेम (love) में ब्रह्मचर्य की महान भावना को समाहित करने के प्रतीक रूप में कृष्ण मोरपंख को अपने सिर पर धारण करते हैं। घर में मोर पंख रखना प्राचीनकाल से ही बहुत शुभ माना जाता है। वास्तु के अनुसार भी मोर पंख घर से अनेक प्रकार के वास्तुदोष दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा को अपनी तरफ खीचता है इसलिए तो मोरपंख को वास्तु में बहुत उपयोगी माना गया है। मोर का पंख लोगों को बहुत ही सुकून प्राप्त कर आता है क्योंकि मोर का पंख कृष्ण जी को बहुत पसंद था |

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