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जानिए सूर्यदेव के तुला में प्रवेश से किन राशियों पर पड़ेगा प्रभाव और कैसे मनाएं तुला संक्रांति का पर्व

ak.gudiya1998@gmail.com ak.gudiya1998@gmail.com My jyotish expert Updated Tue, 19 Oct 2021 02:56 PM IST
sun effects astrology benefits
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तुला संक्रांति का पर्व कार्तिक संक्रांति भी कहा जाता है। सभी नौ ग्रहों में सूर्यदेव को स्वामी कहा जाता है। सूर्यदेव सभी राशियों की परिक्रमा करते हैं एवं एक राशि से दूसरी में प्रवेश संक्रांति कहलाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास में सूर्यदेव का प्रवेश कन्या राशि से तुला राशि में प्रवेश करते हैं। इस वर्ष यह पर्व 17 अक्टूबर को मनाया जाएगा। उड़ीसा, कर्नाटक में इसे महापर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को फसल में चावल के दाने आने की खुशी के रूप में किसानों द्वारा मनाया जाता है। कावेरी तट के मेले में दान पुण्य किया जाता है। सभी पुराणों में सूर्यपूजा का विशेष महत्व बताया गया है, इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इस दिन पूजा एवं दान करने से उम्र में वृद्धि, अच्छी सेहत एवं आर्थिक लाभ होता है। इस दिन महालक्ष्मी जी की आराधना की जाती है जिससे जीवन में धन धान्य की पूर्णता आती है। सामाजिक रूप से सम्मान प्राप्त होता है। महालक्ष्मी जी के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है, माता को चंदन के लेप के साथ सुपारी के पत्ते का भोग लगाएं। यह पर्व सूखे की आपदा को कम करने के लिए मनाया जाता है। सम्पूर्ण वर्ष में 12 बार संक्रांति पर्व मनाया जाता है, सूर्यदेव का सभी 12 राशियों में प्रवेश ही संक्रांति कहा जाता है। आइये जानते हैं कब तक सूर्यदेव रहेंगे तुला राशि में विराजमान एवं  तुला संक्रांति का क्या है महत्व

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