खास बातें
Venus Combust 2024: इस साल अप्रैल माह के दौरान ही शुक्र ग्रह अस्त हो रहे हैं. शुक्र का अस्त होना तारा अस्त होने के नाम से भी जाना जाता है. ऎसे में शास्त्रों के अनुसार शुक्र का अस्त होने का प्रभाव विशेष रुप से मांगलिक कार्यों पर पड़ता है.
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Shukra Asta Significance : शुक्र को ज्योतिष अनुसार समस्त प्रकार की भौतिक सुख संपदा का कारक होता है. ऎसे में शुक्र के अस्त होने पर सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं. इन कामों में विशेष रुप से विवाह, सगाई, गृह प्रवेश आदि जैसे कामों को शुक्र देव के अस्त होने तक रोक देने की बात शास्त्रों में प्राप्त होती है.
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शुक्र अस्त 2024 की डेट
ज्योतिषा शास्त्र के अनुसार इस बार शुक्र ग्रह 25 अप्रैल 2024 को प्रातः 05.19 बजे अस्त होने वाले हैं. शुक्र देव की यह स्थिति 29 जून 2024 तक रहने वाली है. इन दिनों में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, नए काम का आरंभ करना इत्यादि शुभ कार्यों पर रोक रहेगी.
ज्योतिष अनुसार शुक्र का प्रभाव
ज्योतिष में शुक्र ग्रह को शुभ ग्रह का स्थान प्राप्त होता है. शुक्र एक मजबूत स्थिति में होता है तो भौतिक सुख-सुविधाओं की कमी महसूस नहीं होती है. शुक्र के शुभ प्रभाव के चलते समाज में बहुत सम्मान मिलता है. प्रेम ओर सुख की प्राप्ति होती है. इसी लिए कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र मजबूत होता है उसे जीवन के अनेक क्षेत्रों में आगे बढ़ने के अवसर होते हैं. कामकाज में खूब पैसा मिलता है.
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शुभ शुक्र के होने से व्यक्ति को जीवन में भौतिक सुख-सुविधाएं मिलने लगती हैं. किसी काम में अचानक सफलता मिलने लगती है तो यह शुक्र के शुभ होने का संकेत है. जब किसी व्यक्ति को अचानक सम्मान मिलने लगे तो यह कुंडली में शुक्र के मजबूत होने का संकेत है इसके विपरित होने पर ही शुक्र कमजोर होता है. कमजोर शुक्र के होने पर संतान से सुख नहीं मिलता, पैसों की कमी होती है, किडनी, शुगर, मूत्र, आंत आदि रोग हो सकते हैं. प्रेम अथवा दाम्पत्य जीवन में परेशानियां आ सकती हैं.
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शुक्र का मांगलिक कार्यों पर क्या असर पड़ता है?
जीवन में मांगलिक कार्य जो जीवन को शुभता देनेन वाले होते हैं जीवन को आगे बढ़ाने वाले होते हैं उन चीजों की शुभता की वृद्धि के लिए ज्योतिष शास्त्र में शुक्र और बृहस्पति की शुभता होना बहुत आवश्यक माना गया है. इन दोनों ग्रहों का मुहूर्त शास्त्र पर गहरा प्रभाव होता है और इन्हें तारा माना जाता है. ऎसे में किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को करने से पहले शुक्र ग्रह एवं बृहस्पति ग्रह के उदित एवं अस्त स्वरूप का विचार अवश्य करना होता है.पूजा बुक करें!: https://www.myjyotish.com/astrology-services/puja
शुक्र और गुरु दोनों ही शुभ ग्रह हैं ऎसे में शुक्र अस्त होने के बाद विवाह जैसे शुभ कार्य करना अनुकूल नहीं माना जाता है. सगाई विवाह, नए कार्य इत्यादि के लिए शुक्र ग्रह का बहुत महत्व है. किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले शुक्र की स्थिति को अवश्य ध्यान में रखा जाता है. शादी विवाह के कार्यों पर तो इस का अधिक ध्यान रखा जाता है. इसलिए शुक्र अस्त होने पर काम रोक दि जाते हैं विवाह और शादी से जुड़े. शुक्र विवाह का कारक है शुक्र ग्रह को धन, ऐश्वर्य, समृद्धि, आकर्षण और सुंदरता का प्रतीक माना जाता है. इस कारण से यदि शुक्र अस्त हो तो विवाह, सगाई आदि पूर्णतः वर्जित हो जाते हैं क्योंकि अगर शुक्र कमजोर होगा तो इन में सुख की कमी होगी.