अगर आप माँ संतोषी का व्रत करने का विचार कर रहे हैं, किन्तु आपको इस व्रत की पूजन विधि और व्रत कथा नहीं मालूम तो आज हम आपको विधिनुसार सब कुछ बताएगे ।
जानिए शुक्रवार की व्रत कथा और पूजन विधि:
शुक्रवार व्रत कथा (Shukravar Vrat Katha Hindi):
यह सब देख बुढ़िया के बेटे ने शहर जानी की सोची और बुढ़िया और अपनी पत्नी से आज्ञा मांगी तब उस बुढ़िया ने बहू को अपनी निशानी देने को कहा वो रोने लगी कि उसके पास तो ऐसी कोई भी निशानी नहीं है और वो शहर चला गया ।
एक दिन बुढ़िया की बहू ने देखा की नगर की सभी स्त्रियाँ माता संतोषी की पूजा कर रही है । उसने भी इस व्रत को करने की इच्छा व्यक्त की ,और उन स्त्रियों से उस व्रत की पूजा विधि पूछी एक लौटे में जल और गुड़ और चने का प्रसाद लेकर मां कि पूजा करें और इस दिन खटाई बिल्कुल भी न खाए । उसने ऐसा ही किया मां की कृपा से उसके पति की चिट्ठी और पैसे आने लगे।
बहू ने बुढ़िया से कहा कि जैसे ही शहर से वो आएगें तो मैं इस व्रत का उद्यापन करूगीं संतोषी माता की असीम कृपा से उसका पति घर आ गया ,और फिर उसने उद्यापन किया किन्तु उसके पड़ोस में रहने वाली एक स्त्री उससे बहुत अधिक चिड़ती थी । उसने अपने बच्चों को खटाई खाने के लिए सीखा दिया । इसके बाद बच्चों ने ऐसा ही किया ।
इसे माता संतोषी क्रोधित हो गयी और उसके पति को सिपाही पकड़कर ले गए । तब बुढ़िया की बहू ने माता से क्षमा याचना मांगी और पुन : उद्यापन किया माता की कृपा उसका पति घर आ गया और कुछ समय बाद उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई ।
शुक्रवार व्रत की विधि:
1. सबसे पहले सूबह जल्दी उठें स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें । इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
2.इसके बाद मां संतोषी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
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3.इसके बाद कलश की स्थापना करें । लेकिन याद रखें कलश तांबे का ही हो।इसके बाद किसी बड़े पात्र में गुड़ और चने का प्रसाद रखें।
4. इसके बाद मां संतोषी का विधिवत पूजन करें , उनकी कथा सुने और अंत में मां संतोषी की आरती उतारें।
5.अंत में जल से भरे पात्र का जल पूरे घर में छिड़क दें । संतोषी माता के व्रत में खटाई का बिल्कुल भी प्रयोग न करें और न ही घर में किसी को करने दें।
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