इस प्रकार है वो श्लोक-
वायुपुराण में एक श्लोक वर्णित है-
आश्विनस्या सितेपक्षे स्वात्यां भौमे च मारुतिः।
मेष लग्ने जनागर्भात स्वयं जातो हरः शिवः।।
अर्थात- भगवान हनुमान का जन्म कृष्ण पक्ष चतुर्दशी मंगलवार को स्वाति नक्षत्र की मेष लग्न और तुला राशि में हुआ था। अपने बाल्य काल में हनुमान तरह-तरह की लीलाएं करते थे। एक दिन अधिकतर भूख लगने पर उन्होंने सूर्य को मधुर समझकर अपने मुंह में भर लिया। जिसके कारण पूरे संसार में अंधेरा छा गया। तो वहीं इंद्र देव ने इसे विपत्ति समझकर हनुमान जी पर व्रज से प्रहार किया। जिस कारण उनकी ठोड़ी टेढ़ी हो गई। कहा जाता है इसी कारण उन्हें हनुमान नाम से जाना जाता है। बता दें हनुमान जी के जन्मोत्सव को देश भर में हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि श्री हनुमान ने शिव जी के 11वें अवतार के रूप में माता अंजना की कोख से जन्म लिया था।
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