बांसुरी -
कान्हा को बांसुरी (flute) बजाना अत्यंत भाता था । इसलिए उन्हें मुरलीधर नाम से भी जाना जाता है। वे बांसुरी हमेशा अपने पास रखते हैं । बांसुरी एक प्रकार से सम्मोहिनी, खुशी आकर्षक रूप से जुड़ी है। साथ ही बांसुरी को श्री कृष्ण ने मुख्य गुणों से प्रभदान (importance) करवाया है। पहला इसमें गाठ नहीं होती। अर्थात व्यक्ति को भी अपने अंदर किसी भी प्रकार का मनमुटाव(jealousy) नहीं रखना चाहिए और प्रतिशोध भावना भी नही। ये सिर्फ और सिर्फ व्यक्ति को कमजोर (emotionally weak) ही बनाती है । दूसरा बांसुरी स्वयं नहीं बजती। अर्थात जब तक ना कहा जाए ,तब तक ना बोले। जब किसी को आपकी राय (advice)चाहिए होगी तो खुद ही मांग लेगा। अपने काम से मतलब रखें ,बेवजह अपनी विचारना प्रस्तुत(never say unnecessary) न करे। तीसरा बांसुरी जब भी बजती है , उसकी ध्वनि बहुत मधुर(sweet tune) होती है। अर्थात जब भी बोले मीठा बोले । जिससे आपको भी अच्छा लगे और सुनने वालों को भी । ऐसे व्यक्ति श्री कृष्ण को अत्यंत प्रिय है।
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