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Shradh Pooja

श्रद्धया इदं श्राद्धं अर्थात पितरों के निमित्त उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए जो श्रद्धा पूर्वक किया जाए वही श्राद्ध है।हिन्दू धर्म के अनुसार पितरों का उद्धार करना पुत्र का कर्तव्य माना गया है। इसीलिए अपने पितरों की आत्म संतुष्टि के लिए पावन तीर्थस्थानों पर श्राद्ध करना अनिवार्य माना जाता है। श्राद्ध कर्म न सिर्फ पितरों की आत्मा की शान्ति के लिए बल्कि स्वयं को पितृ ऋण से मुक्ति के लिए भी किया जाता है।

इस पितृपक्ष
पावन तीर्थ स्थानों पर कराएं

श्राद्ध पूजा

pitrapuja
pitrapuja

श्राद्ध पूजा कराने की प्रक्रिया

  • पूजन तिथि पर वीडियो कॉल के माध्यम से संकल्प कराया जाएगा तत पश्चात् पूजा संपन्न की जाएगी।।
  • प्रतिष्ठित पुजारियों द्वारा पूर्ण विधि - विधान पूजन किया जाएगा।
  • पूजन में भोग अर्पण कर दान दिया जाएगा।

पूजा में शामिल भोजन

cow

गाय का भोजन

cow

ब्राह्मण का भोजन

cow

कुत्ते का भोजन

cow

चींटी का भोजन

cow

कौए का भोजन

श्राद्ध पूजा के लाभ

  • पितरों की आत्मा को मिलती है शांति
  • पितृदोष से मिलती है मुक्ति
  • पितरों की सेवा का शुभफल प्राप्त होता है
  • सारे रुके हुए काम पूरे होते हैं
  • अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता
  • कार्य पूर्ति में आ रही बाधा दूर होती है।
havan pujan

FAQ :

कब से आरंभ हैं श्राद्ध पक्ष?

श्राद्ध पक्ष पितरों का आवाहन करने का समय है। यह 16 दिवसीय पूजन अपने पितरों को स्मरण करने का समय होता है। इस वर्ष यह मंगलवार 1 सितम्बर से प्रारम्भ होने वाला और गुरूवार 17 तारिक को इसका अंत होगा। प्रत्येक व्यक्ति द्वारा इन दिनों पूर्ण विधि - विधान से अपने पितरों का पूजन किया जाता है।



जानिए क्यों की जाती है श्राद्ध पूजा?

श्राद्ध हिंदू मान्यताओं के अनुसार बहुत अधिक महत्व रखता है, जो भद्रप्रदा का एक चंद्र काल है। 16 दिनों की इस अवधि के दौरान लोग अपने मृत पूर्वजों के लिए पूजा आयोजित करते हैं और पुजारी ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं। पितृ पक्ष श्राद्ध अनुष्ठान करना दिवंगत आत्माओं को शांत करने का एक अवसर है।



श्राद्ध के पीठासीन देवता कौन हैं?

पुरुरव-अर्दव और धुरिलोचन, पित्रों के विदेह देव (देवताओं का समूह) हैं। कहा जाता है की श्राद्ध संस्कार में भी इनका उल्लेख है। श्रद्धा पितरों के पीठासीन देवता वसु, रुद्र और आदित्य से जुड़ी हैं। मंत्रों का पाठ और श्राद्ध के दौरान किए गए संस्कार इन देवताओं के साथ संपर्क स्थापित करने में मदद करते हैं। जिसके कारण आपको श्राद्ध के पूर्ण फल प्राप्त होतें है।



श्राद्ध में पूर्वजों को दिया गया भोजन उन तक कैसे पहुंचता है?

मत्स्यपुराण के अनुसार एक प्रश्न है जो की श्राद्ध से सम्बंधित है। इस प्रश्न में पुछा गया है की ब्राह्मणों द्वारा ग्रहण किया गया भोजन या अग्नि देव को समर्पित किया गया भोजन पितरों तक कैसे पहुँचता है। इसी का उत्तर देते हुए बताया गया की हमारें पूर्वज एक नया जन्म ले चुकें है। इसलिए जो कोई भी भोजन आप अपने पितरों को अर्पण करतें है वह पितरों के देवता वसु , रूद्र एवं आदित्य द्वारा ग्रहण किया जाता है। जो प्रसन्न होकर हमारी इच्छाओं को पूर्ण करते है।



मुझे श्राद्ध पूजा ऑनलाइन क्यों करनी चाहिए?

श्राद्ध पूजन ऑनलाइन करवाना एक बहुत ही सरल माध्यम है जिससे आप अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु सक्षम होतें है। आजकल का जीवन भाग -दौड़ से भरा हुआ है जिसमें पूर्ण विधि - विधान से पूजन को संपन्न करना थोड़ा मुश्किल होता है। लोगों के जीवन से इसी परेशानी को दूर करने हेतु ऑनलाइन पूजा का मार्ग उजागर हुआ है। यह पूजन प्रतिष्ठित पुजारियों द्वारा किया जाएगा। पूजन से पूर्व आपका संकल्प भी करवाया जाएगा।



When did Shradh Paksha begin?

Shradh starts from pitru paksha purnima and continues till pitru paksha amavasya. In 2020 pitru paksha shradh will start from 2nd September 2020 and will continue till 17thSeptember’2020. It is a 16 daya long period to remember ancestors and get rid of Pitra Rin.



Know why Shradh Puja is done?

Shradh puja is done in order to pay homage and respect to ancestors for their sacrifices and also for their peaceful afterlife. Shradh plays a significant role in Hindu mythology. Rituals, customs, prayers and offerings in name of the deceased relatives done with absolute sincerity,are believed to reach them instantly during this period, and thus, helping them attain peace.



How does the shradh food given to the ancestors reach them?

It is believed that offering food to deceased soul helps them to free themselves from this circle of life and attain salvation. According to Hindu scriptures, it is believed that afterkarna’s death, his soul was taken to heaven and was offered loads of gold and jewelry. But he was hungry and wanted food. After questioning to Lord Indra, he got to know that, he had only offered gold and jewelry to his ancestors and not food. So to rectify his mistakes God allowed him to revisit earth for 15 days and perform all the rituals. These 15days long period is now considered as Shradh. That’s why food is offered to ancestors to satisfy their hunger and get a peaceful afterlife.



Why should I do Shraddha Puja online?

Shradh puja plays significant role in Hindi culture. Puja not only helps ancestors to attain salvation but it also brings peace and prosperity in homes. So it is important to follow all the rules and rituals of shradh. Online booking will help you to follow all the Vedic rules of shradh. Doing all the procedures in correct manner will help to alleviate pitru doshas from kundali. So online bookingwill help you to perform all the customs under guidance.



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