वीरभद्र
ऐसा माना जाता है कि यह अवतार महाकाल के गण हैं। शिव महापुराण के अनुसार यह अवतार उस समय अवतरित हुआ था जब राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में भगवान शिव के अपमान सुनकर माता सती ने अपने शरीर को अग्निकुंड में त्याग कर दिया था, तब क्रोधित भगवान शिव ने अपने जटा से एक जटा उखाड़ कर एक पर्वत पर फेंक दिया। उसी जटा के पूर्व भाग से वीरभद्र नामक महा भयंकर गण प्रकट हुआ था वीरभद्र हीं राजा दक्ष के यज्ञ का विध्वंस किया उसके उसके धड़ को सिर से अलग कर दिया था कहा जाता है कि जब राजा दक्ष की पत्नी ने भगवान शिव से याचना की तब भगवान शिव ने राजा दक्ष को बकरा का सिर देकर जीवित कर दिया था।