जैसे कि हमने आपको उपरोक्त बताया कि ऐसी धारण है कि श्राद्ध पक्ष में जब कोई व्यक्ति नई चीज़ खरीदता है तो वह पितरों के निमित्त होती है, पितर प्रेत के रूप में उस चीज़ को स्वीकार करते हैं। तो साथ ही साथ ये भी माना जाता है कि श्राद्ध कर्म में सिर्फ पितरों की पूर्ण श्रद्धा भाव से सेवा-आराधना करनी चाहिए। इस दौरान कभी अपने भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए किसी प्रकार की नई चीज़ न खरीदें। मगर बताया जाता है कि ऐसा धारणाओं को सही माना जाए इसका तथ्यात्मक रूप से कहीं जिक्र नहीं मिलता।
क्यों हो रही हैं आपकी शादी में देरी ? जानें हमारे एक्सपर्ट एस्ट्रोलॉजर्स से बिल्कुल मुफ्त