कौन कर सकता है पिंडदान, किसका है अधिकार
शास्त्रों में मान्यता है पुत्र द्वारा किये पिंडदान से नर्क से मुक्ति मिलती है। पुत्र को
श्राद्ध करने का अधिकार मिला है। पुत्र की अनुपस्थिति में किसे है पिंडदान का अधिकार-
. वैसे तो पिंडदान पुत्रों द्वारा किया जाता है पर यदि पुत्र न हो तो ये अधिकार पत्नी के पास है, वो भी न हो तो सगे भाई का अधिकार है यदि सबकी अनुपस्थिति हो तो सगे संबंधी भी कर सकते हैं।
. यदि संतान एक से अधिक हैं तो पिंडदान का अधिकार बड़े पुत्र का होता है, या तो बेटी के पुत्र अर्थात नाती द्वारा किया जाता है।
. पुत्र के न होने पर यह अधिकार पौत्र या प्रपौत्र को दिया गया है या इन सबके अभाव में विधवा स्त्री को यह अधिकार प्राप्त है। यदि पुत्र न हो तो पत्नी के पिंडदान का अधिकार पति को प्राप्त है।
. यदि संतान न हो तो पिंडदान का अधिकार भतीजे को भी प्राप्त है। गोद ली गई संतान को भी यह अधिकार प्राप्त है।
. जब हम पिंडदान की कथा पढ़ते हैं तो उसमें प्रभु श्रीराम और माता सीता का भी उल्लेख है। दशरथ जी का पिंडदान सीता माता ने किया था। यदि संतान में पुत्र न हो तो बहु द्वारा भी पिंडदान किया जा सकता है।
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