भगवान शनि देव भगवान सूर्य के पुत्र और शनि ग्रह के अवतार हैं। ज्योतिष के अनुसार, वह सबसे खूंखार 'ग्रह' में से एक है। ऐसा माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति का शनि बाधा डालते है, तो उस स्थिति में कोई अन्य ग्रह कोई सकारात्मक परिणाम नहीं दे सकता है - ऐसी है भगवान शनि की शक्ति उनसे जुड़ी कहानिया व कई मिथक उन्हें भगवान के रूप में प्रस्तुत करते हैं जो हमें जीवन भर हमारे द्वारा किये गये कर्मो का फल देते हैं और यह यम है जो हमारी मृत्यु के बाद हमारे कर्मों का फल देता है। सूर्य के ये दो पुत्र (सूर्य) हमारे कर्म के अनुसार उद्धार करते हैं। और ऐसा माना जाता है कि यदि शनिदेव आप पर अपनी कृपा बरसाते हैं तो आप जीवन की कठिनाइयों का डटकर मुकाबला कर सकते हैं। भगवान शनि संघर्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं; लेकिन जो लोग उसके द्वारा किए गए संघर्ष पर विजय प्राप्त करते हैं वे अधिक व्यावहारिक, परिपक्व और आध्यात्मिक रूप से उन्नत हो जाते हैं। शनि देव आपके अच्छे या बुरे कर्मों को धीमी गति से करने में विश्वास करते हैं और वे कड़ी मेहनत और अनुशासित व्यवहार का आग्रह करते हैं। भगवान शनि को 'बुरी नजर वाला' भी कहा जाता है और ऐसा माना जाता है कि किसी व्यक्ति के शनि की खराब स्थिति व्यक्ति के जीवन में गंभीर कठिनाइयों का कारण बन सकती है; इसलिए शनिदेव को प्रसन्न करना बहुत जरूरी है। वही बात करे सनी शनि साढ़े साती की तो यह एक व्यक्ति के जीवन में लगभग साढ़े सात वर्ष की अवधि होती है, जो निश्चित रूप से कठिनाइयों और चुनौतियों से जुड़ी है। शनि साढ़े साती की शुरुआत जन्म राशि से ठीक पहले शनि या शनि ग्रह के राशि चक्र में प्रवेश के साथ होती है। चंद्र राशि के तुरंत बाद शनि के राशि चक्र से बाहर निकलने के साथ ही ये अवधि समाप्त हो जाती है। शनि को हर राशि में गोचर करने में ढाई साल लगते हैं और इसलिए तीसरी राशि से निकलने में साढ़े सात साल का समय लगता हैं। ऐसे में आइये जानते है इन राशियों पर कब ख़त्म हो रही शनि की महादशा
क्या पड़ेगा मिथुन राशि पर प्रभाव जब शुक्र करेंगे कन्या राशि में प्रवेश, जानें यहाँ
शनि जब भी अपनी राशि बदलते है तो एक साथ 5 राशियों को प्रभावित करते है। यहां आप जानेंगे कि अगले 10 साल शनि की साढ़े साती व किस राशि पर और किस राशि पर शनि ढैया रहेंगे।