पुत्रदा एकादशी
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व्रत में प्रमुख व्रत हैं नवरात्रि के, पूर्णिमा के, अमावस्या के और सबसे महत्वपूर्ण एकादशी का व्रत है। एकादशी तिथि व आचार्य शुक्ल पक्ष की हो या कृष्ण पक्ष की हिंदू धर्म में इनका महत्व है तो बहुत अधिक होता है। हर महीने में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी अपने आप में बहुत खास होती हैं। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। सावन और पोस के महीने की एकादशी को एक समान ही माना जाता है क्योंकि यह एकादशी पुत्र प्राप्ति के लिए विशेष होती हैं। सावन मास की एकादशी को सावन पुत्र एकादशी कहा जाता है और पोश माह की एकादशी को पोश पुत्र एकादशी कहा जाता है ।
चंद्रमा की स्थिति के कारण व्यक्ति की मानसिक स्थिति और कभी शारीरिक स्थिति खराब होती है। ऐसी स्थिति में एकादशी का व्रत रखने से यह चंद्रमा की स्थिति का प्रभावों को कम कर देता है और अन्य ग्रहों पर भी प्रभाव डालता है। क्योंकि एकादशी के व्रत का प्रभाव मन और शरीर दोनों पर पड़ता है।