एक मकान को घर बनने के लिए, उसे सही प्रकार की ऊर्जा की आवश्यकता होती है। कई पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, प्रत्येक घर की अपनी एक अलग ऊर्जा होती है। उस घर में रहने वाला व्यक्ति एक विशिष्ट ऊर्जा क्षेत्र के प्रभाव में आता है, जो बदले में उसे किसी न किसी रूप में प्रभावित करती है। यह प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनो ही हो सकते हैं। इसलिए सकारात्मकता और अच्छे वाइब्स बनाए रखने में वास्तु और हमारे घरों की चिकित्सा कला के बीच की कड़ी को समझना बहुत महत्वपूर्ण है। वास्तु घर, भवन, व मंदिर निर्माण करने का प्राचीन भारतीय विज्ञान है , जिसे हम आधुनिक आर्किटेक्चर का प्राचीन स्वरुप कह सकते है। अगर कोई घर, भवन, मंदिर, दफ़्तर इत्यादि वास्तु शास्त्र को ध्यान रख कर ना बनाए या सजाए गए हों तो वो उस स्थान में वास्तु दोष उत्पन्न करते हैं। वास्तु दोष के कारण वहाँ रहने वाले व्यक्तियों के स्वास्थ्य और अन्य गतिविधियों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।
दक्षिण भारत में ऋषि मुनियों को वास्तु शास्त्र का जनक माना जाता है वही उत्तर भारत में भगवान विश्वकर्मा को इसका जनक माना जाता है। वास्तु शास्त्र में दिशाओं का बड़ा महत्त्व है , अगर हम घर बनवाते समय वास्तु के नियमो का पालन करे तो हमारा जीवन सरल व सुखद हो जायेगा। अपने जीवन को सरल और सुखद बनाने के लिए आइए जानते हैं कुछ वास्तु टिप्स।
शनि की कुदृष्टि से बचने के लिए जानें उनके जीवन के अनजाने तथ्य, क्लिक करें