आंगन घर का ब्रह्म स्थान होता है। आज जगह के अभाव में शहर के घरों में आंगन नही बने होते हैं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। ये मन को शांति देने का स्थान होता है ये हमें प्रकृति से जोड़ता है। आज के समय में लोग इसकी महत्वता को भूल गए हैं। घर के आगे या पीछे छोटा ही सही पर आंगन ज़रूर होना चाहिए। अगर आंगन नही है तो बच्चों का बचपन अधूरा है। ये बच्चों को मानसिक रूप से विकसित करने में सहायक है। पहले घरों में बड़े बड़े आंगन हुआ करते थे पर शहरीकरण के बाद आंगन बनाना लोगों ने बन्द कर दिए। वास्तु के हिसाब से घर में आंगन होना चाहिए यह घर और बाहर के बीच विभाजक का कार्य करता है।
वास्तुशास्त्र का महत्व प्राचीनकाल से है। आजकल लोग ध्यान नही दे रहे हैं जिससे कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा माना जाता है कि भाग्य बदला नही जा सकता और कर्मों से उसको सही करने का प्रयास किया जा सकता है। जिस प्रकार हमारी नाभि ऊर्जा स्रोत होती है उसी प्रकार ब्रह्म स्थान भी संपूर्ण घर का ऊर्जा स्रोत होता है। जितना सम्भव हो सके घर की सुख शांति एवं समृद्धि के लिए इसको करने की कोशिश ज़रूर करनी चाहिए।
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