आत्मा और नेतृत्व का ग्रह सूर्य जब संतुलन से युक्त राशि तुला में होता है तो यह एक महत्वपुर्ण समय माना गया है. किसि भी ग्रह की स्थिति उसकी बल या निर्बलता के कई सारे आधार में ज्योतिष शास्त्र में मौजूद होते हैं. ऎसे में किसी एक स्थिति का मूल्यांकन करके ये नहीं कहा जा सकता है की ग्रह कितना मजबूत है या कमजोर बन रहा है, हां ये सच है की ये ये एक सामान्य नियम के रुप में सिद्धांत स्वरुप उपयोग होता है की कुछ बातें हम एक सरसरी निगाह द्वारा देख कर समझ सकते हैं की कोई ग्रह कितना मजबूत है या कमजोर लेकिन उसकी सूक्ष्म जांज द्वारा ही उस ग्रह की वास्तविक स्थिति को समझने
में सहायता प्राप्त होती है. यहां इन बातों को कहने की आवश्यकता सिर्फ इन कारणों से होती है क्योंकि ज्योतिष में नियम अनुसार सूर्य तुला राशि में निचस्थ अवस्था को पाता है, इसलिए सिर्फ इस एक सिद्धांत द्वारा संपूर्ण सूर्य के महत्व को नही समझा जा सकता है लेकिन एक आधार अवश्य प्राप्त किया जा सकता है.
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