sun and mercury transit in ashlesha nakshatra effects - सूर्य और बुध दोनों ही आश्लेषा नक्षत्र पर गोचरस्त हैं ऎसे में इन दोनों का एक साथ इस नक्षत्र में होना बहुत प्रभशाली समय होगा. इस समय के दौरान बुध अपने ही नक्षत्र को प्रभावित करेंगे जो अनुकूलता को दर्शाता है ओर साथ ही सूर्य की स्थिति का इस स्थान पर होना थोड़ा सा अधिक उग्रता को दर्शाने वाला हो सकता है क्योंकि आश्लेषा नक्षत्र को कठोर ही माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में आश्लेषा नक्षत्र नौवें स्थान पर आता है और नक्षत्रों की श्रेणी में ये एक अलग स्थान भी पाता है, इस नक्षत्र को 106:40 से 120:00 डिग्री तक का क्षेत्र प्राप्त होता है और उस क्षेत्र में इसी के असर की गंभीरता भी देखने को मिलती है जातक अगर आश्लेषा नक्षत्र का हो तो उस जातक में प्रतिभा की कमी नहीं होती है. आश्लेषा नक्षत्र में आता है एक मूल नक्षत्र भी माना गया है और इस कारण से ही इसके असर का प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण रुप से देखने को मिल सकता है. इस नक्षत्र के गण्डमूल होने के कारण जातक के लिए ये नक्षत्र किसी न किसी रुप से उसके जीवन के अनेकों क्षेत्रों पर असर भी डालता है. इस नक्षत्र को विषैला भी कहा गया है क्योंकि सर्प का इससे संबंध बताया गया है इसके देवता सर्प हैं इसलिए इस नक्षत्र के जातको को सर्प पूजा करने से लाभ मिलता है. आईये जानते हैं कैसा रहेगा सूर्य और बुध का इस पर गोचर प्रभाव.
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