श्री कृष्ण जन्माष्टमी यूँ तो हर साल आतीं हैं , सहर्ष और उत्साह के साथ हम सब बाल गोपाल का जन्मोस्तव मनातें हैं फिर लग जातें हैं अपने जीवन के उतार चढ़ाव को संभालने में। आज के भाग दौड़ भरे जीवन में बहुत कम ही क्षण ऐसे होतें हैं जिसमें व्यक्ति सुकून के पल बिता सकें। हम अपने आस पास अक्सर देखतें हैं कि कभी ना कभी किसी से छोटी छोटी बातों को लेकर मन मुटाव की स्थिति पैदा हो जाती हैं। दरसल इसके पीछे कारण होता हैं कि अमूमन हम अपने जीवन में बैलेंस नहीं बना पातें हैं अपने और अपने सबंधो के बीच। यदि हम श्री कृष्ण के जीवन में झांक कर देखें तो हमें अपने जीवन की हर समस्या का हल मिलेगा। हमारे शास्त्रों में भी ऐसा वर्णित हैं कि भगवान विष्णु के आठवें अवतार कहें जानें वालें श्री कृष्ण के मुखारविंद निकली हर वाणी अपने आप में एक शास्त्र हैं तथा उनके द्वारा की गई लीलाएं हमारे आज के जीवन में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितना द्वापर युग में थी। हम आज के छोटे सबंधो की डोर में उलझ कर रह जातें हैं और दूसरी और श्री द्वारिकाधीश के जीवन पर नज़र डालें तो देखतें हैं उन्होंने अपने हर रिश्ते को बखूबी निभाया तथा मानव जाति को भी यही सीख दी कि किस प्रकार हमें अपने रिश्ते ईमानदारी तथा पारस्परिक प्रेम के साथ निभाना चाहिए। हमारे शास्त्रों में वर्णित हैं कि श्री कृष्ण के आस पास रिश्तों की डोर बहुत नाजुक और उलझी हुई थीं लेकिन उन्होंने अपने विवेक तथा प्रेम के साथ उन सभी रिश्तों को ईमानदारी से निभाया। आइए हम भी जानतें हैं कि श्री कृष्ण के सबंधो के विषय में रोचक तथ्य :
जन्माष्टमी स्पेशल : वृन्दावन बिहारी जी की पीताम्बरी पोशाक सेवा