हिन्दू धर्म के शास्त्रों में पूजा पाठ को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया हैं ,जन्म से पूर्व कोई पूजा पाठ हो या मृत्यु के पश्चात, सभी पूजन का अपना विशेष महत्व है I ऐसे ही हिंदू धर्म में श्राद्ध का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता हैं कि हमारे पूर्वज या पितर हमारे लिए देव तुल्य होतें हैं ,इसी कारण से ज्योतिष के जानकार यह सलाह देतें हैं कि हमें पितरगण से संबंधित सभी कार्य उचित समय तथा नियमानुसार कर लेना चाहिए I ऐसा कहा जाता हैं कि यदि हमारे पितृपक्ष हमसे प्रसन्न हैं तो सभी देवताओं की भी कृपा हम पर बनी रहती हैं I हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष श्राद्ध पितृ पक्ष 20 सितंबर 2021, सोमवार को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आरंभ होंगे। पितृ पक्ष 6 अक्टूबर 2021, बुधवार को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को समाप्त होगा। श्राद्ध पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक कुल 16 दिवसों तक चलता है। ज्योतिष के अनुसार श्राद्ध का पहला दिन और आखिरी दिन महत्वपूर्ण होता है।
पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों का तर्पण नहीं करने हम पर पितृदोष लगता है। पितृ पक्ष का आरंभ आश्विन मास महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होता है जो आश्विन अमावस्या तिथि को समाप्त होता है। श्राद्ध का अर्थ श्रद्धा पूर्वक अपने पितरों को प्रसन्न करने से है। हमारे शास्त्रों के मुताबिक पितरों के तर्पण से व्यक्ति के जीवन में सुख शांति का वास होता हैं I हिन्दू धर्म के शास्त्रों की मान्यता के अनुसार श्राद्ध के विषय में यह कहा गया है कि जो परिजन अपना शरीर त्यागकर चले गए हैं, उनकी आत्मा की शांति के लिए साफ़ मन तथा सच्ची श्रद्धा के साथ जो तर्पण किया जाता है, उसे ही श्राद्ध कहा जाता है। आइए जानते हैं इस लेख के माध्यम से श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियों के बारे में और उससे जुडी मान्यता के विषय में :
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