श्राद्ध पक्ष जिसका अर्थ है, अपने पुरखों को याद करने की खास हिन्दू तिथियां। इन 16 तिथियों को लेकर विशेष प्रावधान, विशेष नियम और परंपराएं हैं। हिन्दू धर्म में किसी व्यक्ति के स्वर्गवास की तिथि के अनुसार यूं हर वर्ष उसी तिथि को उसके लिए धूप करने की रीति होती है। लेकिन श्राद्ध पक्ष में वार्षिक तिथि के अलावा उसी तिथि पर पुनः धूप करने, दान-पुण्य करने आदि का भी प्रावधान हैं। वर्ष में 16 दिनों के लिए आने वाले श्राद्ध पक्ष में अपने स्वर्गीय बड़े-बुजुर्गों, पुरखों की स्मृति में पूजन करने, पंडितों या जरूरतमंदों को भोजन करवाने और अपने सामर्थ्य अनुसार दान करने का विधान है। इस विधान के साथ बड़े-बुजुर्गों से प्रार्थना की जाती है कि वे परिवार पर स्वयं कृपा बनाए रखें और और साथ ही इन 16 दिन की अवधि में किसी भी प्रकार का नयी वर्ष वस्तु या कपड़े तथा नया कार्य न करें। इस के पीछे यह तर्क होता है कि चूंकि यह समय अपने प्रियजनों की पुण्यतिथि से जुड़ा होता है, एक दुखद याद से जुड़ा होता है। कुल मिलाकर श्राद्ध पक्ष पर आप अपने बुजुर्गों को याद कर सकते हैं और उनसे संबंधित बातों को अपने घर के अन्य सदस्यों से साझा कर सकते हैं। यह एक ऐसा समय है जब आप अपने बुजुर्गों के अच्छे कार्यों को अपना सकते हैं और बिना किसी दिखावे के अपना जीवन सरलता से बिता सकते हैं। तथा इस तरह आप अपने बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और उन्हें प्रसन्न कर सकती हैं।
इस पितृ पक्ष, 15 दिवसीय शक्ति समय में गया में अर्पित करें नित्य तर्पण, पितरों के आशीर्वाद से बदलेगी किस्मत : 20 सितम्बर - 6 अक्टूबर 2021