हमारे देश में पितरों का अपना महत्व होता है और उन्हें समर्पित करने के लिए श्राद्ध करवाया जाता है। हर वर्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर अश्विन मास की अमावस्या तक के कुल 16 दिन पितरों को समर्पित किए जाते हैं। और इस 16 दिन की अवधि को ही पितृपक्ष या
श्राद्ध पक्ष कहा जाता है। इसके पीछे यह मान्यता है कि इस समय पूर्वज अपने वंशजों से मिलने धरती पर आते हैं। तथा इस श्राद्ध का यह भी औचित्य होता है कि कि हम अपने पितरों को याद रखें उनके द्वारा किए गए कार्यों को ना भूले। श्राद्ध पक्ष में पितरों को भोजन करवाने पर उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है तथा उनका आशीर्वाद अच्छे कार्यों के लिए सर्वप्रथम माना जाता है। ऐसे में वंशजों का यह कर्तव्य बनता है कि वह हर साल अपने पूर्वजों का या पितरों का श्राद्ध और तर्पण करें। और उन्हें श्राद्ध का भोजन अर्पित करें। यह माना जाता है कि श्राद्ध के दिन ब्राह्मण को भोजन कराने से पहले कुत्ते, गाने, देवता, कोई और चींटी के लिए श्राद्ध के भोजन में सबसे पहला हिस्सा निकाला जाता है। और इन्हें पंचबलि के नाम से जाना जाता है। तो आज हम जानेंगे कि इस पंचबलि का क्या महत्व है और इनो के लिए सर्वप्रथम भोजन क्यों निकाला जाता है।
सर्वपितृ अमावस्या को गया में अर्पित करें अपने समस्त पितरों को तर्पण, होंगे सभी पूर्वज एक साथ प्रसन्न -6 अक्टूबर 2021