अक्सर(generally) लोगों का ऐसा मानना है कि शनि देव की बुरी दृष्टि ही सदैव उन पर पड़ती है। लेकिन ज्योतिष के अनुसार ऐसी मान्यता बिल्कुल गलत है। क्योंकि शनि देव को कर्मफलदाता(karmfaldata) माना जाता है। वह अच्छे और बुरे(good and bad) दोनों कर्मों के फल, व्यक्ति को देते हैं। इसका सीधा मतलब यही निकलता है कि यह व्यक्ति पर निर्भर(depend) करता है कि उनका कार्य कैसा है। जैसे उनकी कार्य होगी वैसे हीं उनपे शनि की महादशा। धार्मिक(Dharmik) मान्यताओं के अनुसार शनि की, पाप और क्रूर ग्रह में गणना होती है। वैदिक ज्योतिष(vaidik jyotish) के मुताबिक जातक की कुंडली(kundali) में शनि की स्थिति सभी 12 भागों में अलग तरीके से प्रभाव डालते हैं। और जातक की कुंडली(birth chart) में अगर शनि प्रबल(strong) है, तो व्यक्ति को अच्छे परिणाम मिलेंगे। यानी सुख(happiness), शांति(peace) और समृद्धि आती है। तो वहीं दूसरी ओर शनि यदि दुर्बल(weak) है, तो जातक के जीवन में उतार-चढ़ाव(ups and downs) आने लगते हैं । एवं कई परेशानियों का सामना करना पड़ जाता है। इसलिए लोग शनि महाराज को खुश करने के लिए तरह-तरह के टोटके और उपाय(remedy) के साथ इनकी मंदिरों(temples) में जाकर पूजा भी किया करते हैं। आपको बता दें कि एक राशि ऐसी है जो कि शनिदेव को प्रिय है। और इस पर शनि महाराज(shani maharaj) की अत्यंत कृपा बनी रहती है। तो आइए जानते हैं इन राशि के बारे में
जाने, शनि देव की राशि में परिवर्तन से किन-किन राशियों शुरू होंगे साढ़ेसाती एंव ढैय्या!