कैसे पता चलता है शनिदेव की ढैय्या का :-जब हमारी कुंडली के चंद्र भाव के पास चौथे भाव या आठवें भाव में शनि देव बैठे हुए हो तो समझ जाइए आपकी कुंडली में शनि की ढैय्या चल रही है अगर इसके अलावा अन्य भावों में दिखाई दे तो आपकी कुंडली में शनि देव ढैय्या का प्रभाव नहीं है।
ढैय्या के प्रभाव:-ग्रहों के गोचर का हमारे जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है अलग-अलग राशि अलग-अलग ग्रहों के गोचर का शुभ या अशुभ प्रभाव पड़ता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि किसी जातक की कुंडली में कौन सा ग्रह किस भाग में विराजमान है और उसी के अनुसार उसके जीवन में शुभ या अशुभ परिस्थितियां उत्पन्न होती है।शनिदेव की ढैय्या लघु कल्याणकारी होती है लेकिन फिर भी यह कई प्रकार के कष्टों का कारण बन सकती हैं।
- विशेष रूप से शारीरिक विकार
- उदर विकार
- मानसिक तनाव
- आलस्य , प्रमाद का हावी होना
- कार्यों में अवरोध
- देश प्रदेश गमन, अनावश्यक घूमना, फिजूल खर्चा
- कार्य का बनते-बनते बिगड़ जाना।
- वाहन दुर्घटना की संभावना।
- कार्य में मंदा आना।
- धोखा मिलने के आसार रहतें हैं।
- ना चाहते हुए भी कई बार किसी लड़ाई झगड़े में उलझ जाना