सूर्य से सबसे दूर स्थित ग्रह शनि के दो पहलू हैं. वह एक तरफ एक संत है जो अत्यधिक तपस्या और त्याग का जीवन व्यतीत करता है और दूसरी ओर, एक महान न्यायकर्ता जो पीड़ित को राहत नहीं देता है. जातक के भाग्य पर इसकी महत्वपूर्ण भूमिका देखने को मिलती है. इसी के प्रभाव से जातक संत या दुष्ट बन सकता है. लाल किताब के अनुसार, उनके अच्छे गुणों का प्रतिनिधित्व केतु और राहु द्वारा किया जाता है. शनि को दृष्टि का महत्वपूर्ण कारक माना गया है, दृष्टि का अर्थ है विवेक की शक्ति जो व्यक्ति में गंभीर विचारशील स्वभाव को जन्म देती है जिम्मेदारियों का बोध कराती है. शनि में प्रत्येक व्यक्ति के स्वभाव और अन्य संबंधित कारकों को आसानी से प्रभावित करने की क्षमता होती है. शनि को ज्योतिष में एक अत्यंत प्रभावशाली ग्रह माना गया है. शनि की स्वराशि में मकर और कुंभ राशि आती हैं. शनि से संबंधित दशा और शनि की अन्य स्थिति का प्रभाव व्यक्ति के जीवन को प्रभावशाली रुप से प्रभावित करने वाला होता है.
विभिन्न भावों में शनि की स्थिति
प्रथम भाव में मजबूत शनि यह दर्शाता है कि जातक विदेशी रीति-रिवाजों और आदतों के अनुकूल होगा. वह एक मजबूत बौद्धिकता को पाता है. भावुक व्यक्ति हो सकता है. स्वभाव से विचारक हो सकता है.
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