हिंदी पंचांग के अनुसार श्रावण का महीना जल्द ही शुरू होने वाला है। इसे वर्षा ऋतु का आरंभ माना जाता है और श्रावण की शुरुआत के साथ ही चातुर्मास भी प्रारंभ होता है। कहते हैं इस दौरान भगवान विष्णु योग निद्रा में जाते हैं और संसार के संचालन की ज़िम्मेदारी शिव जी के हाथों में आ जाती है। मुख्यतौर पर ये महीना महादेव को ही समर्पित होता है। मगर क्या आप जानते हैं कि इस बीच श्री कृष्ण की पूजा का भी बहुत महत्व होता है। तो आइए जानते हैं कब कब होती है श्री कृष्ण की पूजा और क्या है इनका महत्व।
श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक यानी कृष्ण जन्माष्टमी तक एक महीने के लिए लगातार कृष्ण जी की पूजा की जाती है। ये समय श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए काफ़ी अच्छा माना जाता है। अगर इस इस समयांतराल में व्यक्ति श्री कृष्ण अको प्रसन्न करने में सफल होता है तो उसे मनचाहा आशीर्वाद मिलता है। साथ ही साधक को मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्रावण मास में जिस प्रकार शिव जी के मंदिरों को सजाया जाता है और पूजा-अर्चना की जाती है ठीक उसी प्रकार कृष्ण मंदिरों को भी सजाया जाता है और कृष्ण भगवान की भी धूमधाम से आराधना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि श्रावण के महीने और श्री कृष्ण की लीलाओं का आपस में गहरा संबंध है।
मान्यता ये भी है कि अगर इस महीने में आप श्री कृष्ण की सच्चे मन से पूजा करते हैं तो आपको सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
श्रावण मास से लेकर कृष्ण जन्माष्टमी तक श्री कृष्ण के सारे प्रिय स्थल और उनकी देवनगरी जैसे मथुरा, गोकुल, वृन्दावन और बरसाना भी झूम उठते हैं। हर तरफ उमंग और उत्साह माहौल देखने को मिलता है। रासलीला और गौरांगलीला जैसे कई आयोजन किए जाते हैं।
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