ज्योतिष शास्त्र में शनि एक महत्वपूर्ण ग्रह है और इसका राशि परिवर्तन अहम माना जाता है। शनि को न्याय कर्ता की उपाधि मिली हुई है। ऐसा माना जाता है की जिनके कुंडली में शनि शुभ स्थिति में होते हैं , उन्हें अपने जीवन में हर तरह के सुख प्राप्त होते हैं। तो वहीं दूसरी ओर जिनकी कुंडली में शनि अशुभ रूप में विराजमान रहते हैं उन्हें कई परेशानियों , रुकावटें, बीमारियां आदि का सामना करना पड़ जाता है। यही कारण है कि शनि की चाल से मनुष्य भयभीत हो जाया करते हैं। शनि का नाम सुनते ही लोगों के मन में यह अवधारणा बन जाती है की कहीं इसके अशुभ प्रभाव हमारे ऊपर ना पड़ जाए। चूंकि, शनि सभी ग्रहों में सबसे धीमी गति से गतिमान रहता है। शनि जब राशि परिवर्तन करतें हैं, तो एक राशि में ढाई वर्षों तक गोचर करतें हैं और उसके बाद दूसरे राशि में प्रवेश कर जाते हैं। शनि के राशि परिवर्तन से एक तरफ कुछ राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या लगती है। तो, वहीं कुछ राशियों को शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति भी मिल जाती है।
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