ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि एंव बृहस्पति की युति बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। ये दोनों ग्रह एक दूसरे के प्रति सम दृष्टि अर्थात सामान्य संबंध रखते हैं। बृहस्पति सभी ग्रहों के देवता कहे जाते है एंव शनि इनका सम्मान करते हैं। शनि इस समय मकर राशि में हैं तथा 14 सितंबर 2021 में गुरु बृहस्पति भी इस राशि में आ जायेंगे। मकर शनि की स्वराशि है तो वही गुरु की नीच राशि है। इन दोनों ग्रहों के एक राशि में होने से 4 राशि वालों को जबरदस्त लाभ मिलने के आसार रहेंगे। गुरु (बृहस्पति) ज्योतिष के नवो ग्रहों में सबसे अधिक शुभ ग्रह माने जाते हैं। गुरू मुख्य रूप से आध्यात्मिकता को विकसित करने का कारक माने जाते हैं। तीर्थ स्थानों एंव मंदिरों, पवित्र नदियों, धार्मिक क्रिया कलाप से जुडे हैं। गुरु ग्रह को अध्यापकों, ज्योतिषियों, दार्शनिकों, लेखकों जैसे कई प्रकार के क्षेत्र में मुख्य रूप से कार्य करने का कारक माना जाता है, इसके साथ साथ गुरु की अन्य कारक वस्तुओं में पुत्र संतान, जीवन साथी, धन-सम्पति, शैक्षिक गुरु, बुद्धिमता, शिक्षा, ज्योतिष तर्क, शिल्पज्ञान, अच्छे गुण, श्रद्धा, त्याग, समृ्द्धि, धर्म, विश्वास, धार्मिक कार्यो, राजसिक सम्मान देखा जा सकता है। गुरू जीवन के अधिकतर क्षेत्रों में सकारात्मक उर्जा प्रदान करने में सहायता प्रदान करता है, अपने सकारात्मक रुख के कारण व्यक्ति कठिन से कठिन समय को आसानी से सुलझाने के प्रयास में लगा रहता है अर्थात प्रयत्नशील रहता है। गुरू आशावादी बनाते हैं एंव निराशा को जीवन में प्रवेश नहीं करने देते हैं। गुरू के अच्छे प्रभाव स्वरुप से ही जातक परिवार को साथ में लेकर चलने की चाह रखने वाला होता है। गुरु के प्रभाव से व्यक्ति को बैंक, आयकर, खंजाची, राजस्व, मंदिर, धर्मार्थ संस्थाएं, कानूनी क्षेत्र, जज, न्यायाल्य, वकील, सम्पादक, प्राचार्य, शिक्षाविद, शेयर बाजार, पूंजीपति, दार्शनिक, ज्योतिषी, वेदों तथा शास्त्रों का ज्ञाता होते है। गुरु के मित्र ग्रह सूर्य, चन्द्र, एंव मंगल माने जाते है। गुरु के शत्रु ग्रह बुध एंव शुक्र हैं तथा गुरु के साथ शनि सम संबन्ध रखता है। गुरु को मीन एंव धनु राशि का स्वामित्व प्राप्त है।
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