हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष दशहरा पर्व शुक्रवार 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था और देवी दुर्गा ने नौ रात दस दिन बाद महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इसलिए इस पर्व को सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। दस सिर होने के कारण रावण को दशानन भी कहा जाता है। पर क्या आप यह जानते हैं कि दस सिर रावण के कैसे हुए और वे दस सिर प्रतिनिधित्व करते हैं? तो आइए जानते हैं रावण के दस सिरों का रहस्य-
त्रिलोक
विजेता रावण भगवान शिव का परम भक्त था। एक बार उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की। जब भगवान शिव हजारों वर्षों तक रावण की तपस्या से प्रसन्न नहीं हुए। तब निराशा में रावण ने अपना सिर भगवान शिव को अर्पित करने का फैसला किया। भगवान शिव की भक्ति में लीन रावण ने अपना सिर भोलेनाथ को अर्पित कर दिया। लेकिन फिर भी रावण नहीं मरा, बल्कि उसकी जगह एक और सिर आ गया। ऐसा करके रावण ने भगवान शिव को 9 सिर चढ़ाए। जब रावण ने दसवीं बार भगवान शिव को अपना सिर अर्पित करना चाहा, तो भगवान शिव स्वयं रावण से प्रसन्न हुए और शिव की कृपा पाकर रावण तब से दशानन बन गया। इसी वजह से भगवान शिव का रावण को परम भक्त माना जाता है।
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