वैदिक ज्योतिष के सिद्धांतों के अनुसार राहु और केतु को दो मजबूत ग्रह माना जाता है, हालांकि खगोलीय रूप से, उनका अस्तित्व नहीं है लेकिन फिर भी राहु और केतु हमारे
जीवन को दृढ़ता से प्रभावित करते हैं, इसलिए वे ज्योतिष शास्त्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. वैदिक ज्योतिष में गणना करते समय उन्हें गणितीय बिंदुओं के रूप में दर्शाया जाता है. आमतौर पर, ज्योतिष में उल्लेख किया गया है कि राहु भोग का प्रतिनिधित्व करता है. राहु के कुछ नकारात्मक प्रभाव मानसिक रोग, चोरी, हानि, परिवार के सदस्यों की मृत्यु, कानूनी परेशानी आदि हैं. यदि राहु अच्छी तरह से स्थित है, तो यह जातक को साहस और प्रसिद्धि प्रदान कर सकता है. केतु के नकारात्मक प्रभाव से फेफड़ों से संबंधित रोग, कान की समस्याएं, मस्तिष्क विकार आदि हो सकते हैं. यह रहस्यवादी गतिविधियों, बुरी संगति, झूठे अभिमान आदि का प्रतिनिधित्व करता है. केतु मोक्ष के लिए उत्तम है, अचानक लाभ , दार्शनिक खोज, आध्यात्मिक खोज इसी के द्वारा संभव हो पाती है. राहु और केतु की स्थिति के कारण क्या करें और क्या न करें जैसी दुविधा सदैव सामने रहती है. ग्रहों का गोचर प्रत्येक राशि पर अपने अनुरुप शुभाशुभ फल देने में समर्थ होता है. जब भी कोई ग्रह एक राशि से निकल कर दूसरी राशि में जाता है वह समय किसी न किसी रुप में प्रभवित अवश्य करता है. ऎसे में
नक्षत्र का परिवर्तन भी अपने आप में एक महत्वपूर्ण घटना होती है.
नवरात्रि स्पेशल - 7 दिन, 7 शक्तिपीठ में श्रृंगार पूजा : 7 - 13 अक्टूबर