भारत की संस्कृति में मौजूद हिंदू पंचांग के ज्ञात के अनुसार भाद्रपद के महीने में पढ़ने वाली अमावस्या को लोग कुशग्रहणी अमावस्या व पिठोरी अमावस्या के नाम से लोग जाना करते हैं । इस साल पिठोरी अमावस्या का व्रत 7 सितंबर दिन मंगलवार को भक्तों के द्वारा पूर्ण किया जाएगा ।
मान्यता यह बताई जाती है कि इस दिन का व्रत रखने से व इस व्रत की विधि - विधान के साथ पूजन करने से पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है । हिंदू शास्त्रों के अनुसार मूल रूप से ऐसा बताया जाता है कि अमावस्या तिथि के स्वामी पितृदेव को माना जाता है इसीलिए भी इस दिन व्यक्ति के पितरों के प्राप्ति के लिए तर्पण किया जाता है और साथ ही साथ किसी पंडित या जरूरतमंद को दान पुण्य में किया जाता है जिससे धार्मिक कार्य में बेहद ही महत्वपूर्ण माना गया है । धार्मिक दृष्टि के अनुसार अमावस्या को कुश ग्रहण करने व किसी भी पूजा में कुश के प्रयोग से व्यक्ति के जीवन में उसको विशेष स्थान प्राप्त होता है जिसका बेहद ही महत्व माना जाता है व ऐसा बताया जाता है कि कुश घास के उपयोग के बिना कोई भी धार्मिक कार्य अधूरा माना जाता है । आइए अब आपको बताते हैं कुशा घास से जुड़ी कुछ धार्मिक बातों के बारे में : -
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