बुध का पुष्य नक्षत्र में गोचर अनुकूल माना जाता है. इस समय पर बुध और सूर्य दोनों ही पुष्य नक्षत्र में गोचर करेंगे. दोनों ग्रहों की स्थिति का उनके अनुरुप व्यक्ति पर असर भी देखने को मिलेगा. भारतीय वैदिक शास्त्र व नक्षत्र ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह का नक्षत्रों के राजा पुष्य के साथ संबंध एक प्रकार की राजयोगकारी स्थिति भी होती है क्योंकि बुध भी राजकुमार की उपाधी को पाते हैं अत: दो राज तत्वों का एक साथ आना समृद्धि के क्षेत्र में अनुकूल हो सकता है. इस स्थिति में बुध के पुष्य नक्षत्र में विद्यमान होने से शिक्षा के क्षेत्र में अनुकूल अवसर दिखाई देंगे. बौद्धिकता में निखार भी होगा और नई चीजों पर शोद्ध से जुड़े काम भी आगे बड़ सकेंगे. इस समय पर यह अवधि बुधपुष्य के नाम से भी जानी जाएगी. इस दृष्टि से संपूर्ण स`मय पर जब तक बुध, पुष्य नक्षत्र में गोचरस्थ होंगे उन पर नक्षत्र का प्रभाव बना रहेगा. इस गोचर के समय बुध को सूर्य का साथ मिलेगा. सूर्य और बुध की युति को शुभ ही माना गया है, इस प्रकार तीन महत्वपूर्ण योग का प्रभाव इस समय बना रहने वाला है. ये समय काम काज के लिए नवीनता लाने वाला होगा नए लोगों के साथ लाभ के अवसर मिलेंगे ओर संपर्क से जुड़े कामों में तेजी आएगी.
आईये जानें कैसा रहेगा बुध के पुष्य नक्षत्र का सभी 12 राशियों पर प्रभाव
सावन शिवरात्रि पर अमरनाथ में कराएं सामूहिक महारुद्राभिषेक,देवों के देव महादेव होंगे आप पर मेहरबान - 06 अगस्त 2021