भवन के वास्तु मैं ग्रहों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। श्रिष्टि मैं 9 ग्रहों को ज्ञात किया गया हैं , तथा कहा जाता हैं की प्रतियेक ग्रह का एक भवन होता हैं। जहा वह जातकों को लाभ अत्यधिक पहुंचाते हैं। इसके साथ साथ यह भी कहा जाता हैं देवता लोगो की प्रमुख दिशा भी होती हैं। हर देवता की एक भिन्न भिन्न दिशा निर्धारित हैं। कहा जाता हैं की इन नव ग्रहों के अनुसार और भवन के वास्तु के अनुसार यदि कार्य संतुलित किये जाएँ तो घर और जीवन मैं सुख समृद्धि आती हैं और जीवन परिपूर्ण बन जाता है। तथा विशेष देवताओं की विशेष दिशाओं को ध्यान मैं रख कर पूजा पाठ करि जाए तो भी जीवन कुशल हो जाता है। इसके ठीक विपरीत यदि इन् भवन के ग्रहों की दिशाओं को नजअंदाज करके कुछ काम किया जाता हैं तथा वास्तु के नियमों की अवहेलना होती हैं तो जीवन मैं कठिनाईयां द्वार पर खड़ी आपका स्वागत करती हैं।
तो आईये जानते हैं भवन के वास्तु मैं ग्रहों का स्थान क्या कहता हैं-
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