ज्योतिष के अनुसार कुछ नक्षत्रों में शुभ काम करने से दुगुना लाभ मिलता है ∣तो कुछ नक्षत्र में शुभ काम करने की सख्त मनाही होती है ∣ जिसमें पंचक काल भी आता है ∣ ज्योतिष की दृष्टि से पंचक को शुभ नक्षत्र नहीं माना गया है ∣ जिसे अशुभ और हानिकारक माना गया है ∣ जिसकी उत्पति नक्षत्रों के मिलन से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहते हैं। जब चन्द्रमा, कुंभ और मीन राशि पर होता है, तब उस दौरान पड़ने वाले पांच दिनों को पंचक माना जाता है। इसी तरह घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्रों को मिलाकर पंचक कहा जाता है। आपको बता दे कि आज से पंचक काल का आरंभ हो रहा है ∣ जो सनातन धर्म में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है ∣ जो कि 28 जून से 3 जुलाई तक रहेगा जिसमें कोई भी काम शुभ नहीं माना जाता है ∣ जिसको लेकर क ई मान्यता भी जुड़ी हुई है ∣ ऐसा माना जाता है कि पंचक काल में अगर किसी इंसान की मृत्यु हो जाती है तो उसके कुल पांच अन्य लोगों की मृत्यु होने की आशंका होती है ∣ इससे बचने के लिए पंचक काल में मृतक व्यक्ति के साथ कुश का पुतला बनाकर उसका भी दाह संस्कार करने का विधान है ∣ गरुड़ पुराण के मुताबिक पंचक काल में पंचक काल में किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर दाह-संस्कार संबंधित नक्षत्र के मंत्र से आहुति देना चाहिए । बता दे कि नियमपूर्वक दी गई आहुति से पुण्यफल मिलता है अगर संभव हो तो इस काल में दाह संस्कार तीर्थस्थल में किया जाना चाहिए इससे मृतक की आत्मा को शांति मिलती है।
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