अविवाहित लड़किया शिवजी जैसे वर की कामना के लिए इस व्रत को रखती हैं। शिव पुराण में बताया गया है कि माता पार्वती ने इस व्रत को भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए किया था, जिससे इस व्रत का महत्व बढ़ जाता है। हरतालिका तीज में महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं और अगले दिन जल ग्रहण करती हैं। कई जगह हरतालिका तीज पर महिलाएं सुंदर मंडप बनाकर बालू से शिवजी और माता पार्वती की प्रतिमा बनाती हैं और उनका गठबंधन करती हैं। इस व्रत को पूरा करने के लिए महिलाएं कई कठिन कार्य व कठिन नियम को अपनाती है। आइए जानते है उन कठिन नियम और कार्य के बारे में।
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इस दिन महिलाएं कौनासे 9 कार्य करती हैं।
- हरतालिका तीज प्रदोष काल में किया जाता है। सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है। यह दिन और रात के मिलन का समय होता है।
- हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं।
- पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
- इसके बाद देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें।
- सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी वस्तु रखकर माता पार्वती को चढ़ाना इस व्रत की मुख्य परंपरा है। इसमें शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है।
- यह सुहाग सामग्री सास के चरण स्पर्श करने के बाद ब्राह्मणी और ब्राह्मण को दान देना चाहिए। इस प्रकार पूजन के बाद कथा सुनें और रात्रि जागरण करें।
- आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं और ककड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।
हरितालिका तीज के दिन करें यह कार्य
- हरितालिका तीज के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं।
- इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत और काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाकर इनकी पूजा का प्रारंभ सूर्यास्त के बाद प्रदोषकाल से किया जाता है जो सुबह पराण तक जारी रहता है।
- हरतालिका तीज के दिन महिलाएं पूरी रात जाकर भजन कीर्तन या लोकगीत गीत गाती व उस मे लीन रहती है।
- इन दिन महिलाओं को रातभर जागना होता है और आवश्यक भी है क्योंकि उन्हें आठों प्रहर पूजा भी करनी होती है और यह भी मान्यता या अंधविश्वास है कि जो महिला सो जाती है उसे मगरमच्छ की योनि प्राप्त होती है।
- माना जाता है कि कोई विवाहिता या कुमारी लड़की अगर अपने जीवन में एक बार भी इस व्रत को रखती है तो उसे जीवन भर इस व्रत को रखना पड़ेगा अगर वह कभी बीमार भी होती है तो उसका कोई करीबी व्यक्ति उस व्रत को रख कर उस परंपरा को बनाए रख सकता है।
- पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी रखकर उस पर केले के पत्ते बिछाएं और भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद पार्वती को सुहाग की सारी वस्तुएं और शिवजी को धोती व अंगोछा अर्पित करके षोडशोपचार पूजन करें। फिर तीज की कथा सुनें और रात्रि जागरण करें। आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं और हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।
- हरतालिका तीज के दिन व्रत को रखने वाली स्त्रियों को कथा सुनना जरूरी होता है माना जाता है कि कि जो महिला इस तथा को नहीं सुनती है उसका व्रत अधूरा रह जाता है।
- ऐसी मान्यता भी है कि जिस भी तरह का भोजन या अन्य कोई पदार्थ ग्रहण कर लिया जाता है तो अन्न की प्रकृति के अनुसार उसका अगला जन्म उस योनि में ही होता है।
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