इस वर्ष 'चतुर्थी तिथि' 10 सितंबर को सुबह 12:17 बजे शुरू होगी और रात 10 बजे तक चलेगी। इस दिन लोगों को जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए, फिर घर में मंदिर की सफाई करनी चाहिए। फिर 'दूर्वा घास', 'लड्डू' और 'मोदक' भगवान गणेश को अर्पित किए जाते हैं। भगवान गणेश की पूजा 'आरती' के साथ पूरी होती है।
गणेश चतुर्थी: महत्व
भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। इसलिए गणेश चतुर्थी का भी विशेष महत्व है।
गणेश चतुर्थी: पूजा विधि
ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने से सभी समस्याओं का समाधान होता है। भगवान गणेश की मूर्ति, पानी का बर्तन, 'पंचामृत', लाल कपड़ा, 'रोली', 'अक्षत', 'कलाव जनेऊ', इलायची, नारियल, 'चंडी का वर्क', 'सुपारी', 'लौंग', पंचमेवा, 'घी' पूजा को पूरा करने के लिए कपूर', 'चौकी' और 'गंगाजल' इकट्ठा करने की जरूरत है।
लोग जितना हर साल अपने घर में भगवान गणेश का स्वागत करना पसंद करते हैं, उतना ही उनके जाने पर उन्हें दुख भी होता है। लेकिन उनका स्वागत और विदाई दोनों ही दिल में उतनी ही भक्ति भाव से की जाती है। भगवान गणेश को आमतौर पर 'विघ्नहर्ता' के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है सभी बाधाओं को दूर करने वाले।
किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व बात कीजिए ज्योतिषी से