हम सभी को लगता है की सोते समय हमें सपने आते हैं, परंतु वास्तविकता में स्वप्न जागृत और निद्रा के बीच तुरीयावस्था में आते हैं। सपने मन की एक विशेष अवस्था होते हैं, जिनमें वास्तविकता का आभास होता है। स्वप्न के आने के पीछे रहन-सहन का प्रभाव होता है।सपने आने के पीछे ग्रह और राशियां भी जिम्मेदार होती हैं।
हर सपने के पीछे अपना एक अलग कारण और अलग महत्व होता है।स्वप्न शास्त्र के माध्यम से सपनों का अध्ययन और उनके फल की सम्मति की जाती है।सपने अलग-अलग प्रकार के होते हैं, कुछ सुखद तो कुछ डरावने।स्वप्न शास्त्र कहता है की हम जो भी सपने देखते हैं उसका संबंध हमारे असल जीवन से होता है। इनमें से कुछ सपने शुभ होते हैं वही कुछ अशुभ के सूचक।
सपनों में भगवान को देखना (जिस रूप में हम उनकी कल्पना करते हैं) या किसी तीर्थस्थल या कोई देवी-देवता से जुड़े स्थान को देखते हैं तो हमें सुख की अनुभूति होती है। हमें स्वप्न में अपने इष्ट के दर्शन पाना बहुत ही अच्छा लगता है। पर क्या आप जानते हैं कि सपने में भगवान के अलग-अलग रूप के दर्शन करने के अलग-अलग अर्थ होते हैं! तो आइए जानते हैं सपने में भगवान के किस रूप को देखने का क्या अर्थ होता है।
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