धनतेरस का त्योहार कार्तिक कृष्ण की त्रयोदशी को मनाया जाता है. इस साल धनतेरस 2 नवंबर को है. माना जाता है। भगवान धन्वन्तरि इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान हाथ में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। धन्वन्तरि देवताओं के वैद्य हैं।यही वजह है कि धनतेरस के दिन अपनी सेहत की रक्षा और आरोग्य के लिए धन्वन्तरि देव की उपासना की जाती है। इस दिन को कुबेर का दिन भी माना जाता है और धन सम्पन्नता के लिए कुबेर की पूजा की जाती है। इस दिन लोग मूल्यवान धातुओं का और नए बर्तनों व आभूषणों की खरीदारी करें।
दीपावली के उत्सव में पहले दिन धनतेरस का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस त्यौहार को
धनतेरस इसलिए कहा जाता है क्योंकि मां लक्ष्मी एवं कुबेर की पूजा की जाती है और इस दिन बर्तन सोना चांदी वाहन अथवा कोई नई वस्तु वस्त्र खरीद कर अपने घर में लाते हैं और उसकी पूजा अर्चना करते हैं। धनतेरस कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की उदयव्यापिनी त्रयोदशी को मनाई जाती है। अर्थात यदि त्रयोदशी तिथि सूर्य उदय के साथ प्रारंभ होती है, तो धनतेरस मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 2 नवंबर मंगालवार को धनतेरस का पर्व मनाया जएगा। दिवाली की शुरुआत धनतेरस से होती है और इस वर्ष 2 नवंबर को धनतेरस का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाएगा एवं इस दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सभी व्यक्ति कई प्रकार के उपाय अपनाते हैं और धनतेरस के मौके पर सोने-चांदी और बर्तनों एवं वाहनों की खरीदारी करके अपने घर में लाते हैं। धनतेरस के पर्व पर कोई भी
वस्तु खरीदना काफी शुभ मानी जाती है और शास्त्रों के अनुसार कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें विशेष तौर पर धनतेरस के दिन अवश्य खरीदना चाहिए।
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