हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवोत्थान एकादशी या देवउठनी एकादशी कहा जाता है।इस बार देवोत्थान एकादशी 14 नवंबर, रविवार को मनाई जाएगी। 14 नवंबर को एकादशी का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 48 पर शुरू होगा और 15 नवंबर को सुबह 06 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु अपने 4 महीने की नींद के बाद जागते हैं और सृष्टि का संचालन फिर से शुरू करते हैं। इसीलिए इस दिन चार महीनों से आपके जो भी
मांगलिक कार्य रुके हुए रहते हैं वो फिर से शुरू हो जाते हैं।कहा जाता है कि आषाढ शुक्ल की एकादशी को विष्णु भगवान समेत अन्य देवता चार महीनों के लिए सोने चले जाते हैं। इस चातुर्मास शयन की समाप्ति देवोत्थान एकादशी के दिन ही होती है।इस दिन वैष्णव लोगों के साथ श्रद्धालु लोग भी एकादशी का व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। देवउठनी एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में बहुत विशेष महत्व होता है। इस एकादशी के दिन पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। लोग भगवान विष्णु और लक्ष्मी मां की कृपा प्राप्त करने के लिए इस एकादशी का व्रत रखते हैं। मान्यता है कि जो लोग एकादशी का व्रत रखते हैं उनको धन, मान सम्मान और सुख प्राप्त होता है। साथ ही भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करके भक्तों की अन्य सारी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।इतना ही नहीं, कहा ये भी जाता है की ये व्रत रखने से आपके पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होते हैं।देवोत्थान एकादशी के दिन
तुलसी विवाह भी आयोजित किया जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन अगर आप कुछ उपाय करते हैं तो आपको मनचाहा फल प्राप्त हो सकता है। आइए जानते हैं उन उपायों के बारे में।
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