चंद्रमा {Chandrma } अपने नाम के ही अनुरूप शांत , सुन्दर तथा सौम्य हैं। हमारे ज्योतिष शास्त्र {Astrology } में चंद्र का बहुत महत्वपूर्ण {important } स्थान हैं। जानकारों के मुताबिक किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में चंद्र ग्रह उसके मन तथा मनोदशा को दर्शाता हैं। चंद्रमा केवल कुंडली में एक ग्रह ही नहीं अपितु इन्हें देवता भी माना जाता हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार चंद्र देव {Chandra Dev } महृषि अत्रि एवं माता अनसूया की संतान हैं। चंद्र देव को सर्वमय भी कहा जाता हैं तथा ये सोलह कलाओं से परिपूर्ण हैं। चंद्रमा का वर्ण श्वेत हैं तथा इनके वस्त्र से लेकर इनका रथ भी श्वेत ही हैं। इनका आसान एक सुन्दर एवं भव्य कमल के फूल पर माना गया हैं। ज्योतिष के जानकार बतातें हैं कि चंद्रमा अगर किसी व्यक्ति के कुंडली में मजबूत स्थिति में हो तो उस जातक को हर प्रकार के मानसिक तथा भौतिक सुख प्राप्त होतें हैं। जिस प्रकार चंद्र देव सोलह कलाओं से परिपूर्ण हैं उसी प्रकार वह व्यक्ति भी बहुमुखी प्रतिभा का धनी होता हैं। लेकिन यदि किसी जातक के कुंडली में च्रंदमा नीच स्थान पर हो तो व्यक्ति को कई प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ सकता हैं। ज्योतिष ऐसे जातकों के लिए उपाय भी बतातें हैं , आइए जानतें हैं इस लेख के माध्यम से कि व्यक्ति को अपनी कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति मजबूत करने तथा उसके द्वारा अशुभ फलों से बचने के लिए क्या उपाय करना चाहिए :
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