इस माह की पवित्रता को देखते हुए इसे प्रायिश्चित माह भी कहा जाता है। इस महीने में किये गए दान एवं व्रत से पापों का नाश किया जाता है। इसे चातुर्मास के चार पवित्र महीने में दूसरा महीना माना गया है। ये माह पर्वों से भरा होता है, हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह साल का छठा महीना होता है। इस पवित्र माह को निष्ठा, नियम एवं व्रत कर के बिताया जाता है। इसे भद्र परिणाम देने वाला बताया गया है। इस महीने में गणेश चतुर्थी, जन्माष्टमी जैसे बड़े पर्व मनाए जाते हैं किंतु इस माह में मांगलिक कार्य नही किये जाते हैं जैसे विवाह, नवभवन निर्माण आदि। इसके बाद पितृपक्ष प्रारंभ हो जाते हैं। इसे भद्र परिणाम माह भी कहा जाता है। इस माह भगवान की भक्ति से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसे मुक्ति मास भी कहा जाता है। इसी के साथ कई ऐसे कार्य हैं जो इस माह में निषेध हैं और कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें करने से सुख की प्राप्ति होती है। कुछ खाद्य सामग्री पर भी रोक है। रक्षाबंधन के पर्व के साथ सावन महीने की समाप्ति एवं भादो माह का आगमन होता है। इस वर्ष भादो मास का प्रारंभ 23 अगस्त से हुआ जो कि 20 सितंबर को समाप्त हो रहा है। इस महीने का स्वामी चंद्रदेव को माना गया है। वही शास्त्रों में मान्यता है कि ये भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय मास था। शास्त्रों के अनुसार इस महीने से जुड़ी अपनी पूजा पाठ है अपना एक रहन सहन है जिसका निष्ठा से पालन किया जाना चाहिए। आइये जानते हैं क्या है ऐसी बातें-
सर्वपितृ अमावस्या को गया में अर्पित करें अपने समस्त पितरों को तर्पण, होंगे सभी पूर्वज एक साथ प्रसन्न -6 अक्टूबर 2021