वास्तु
शास्त्र मनुष्य की जिंदगी को किसी ना किसी तरह से प्रभावित करता है। इसके अनुसार कोई भी कार्य करने के लिए एक जैसा निर्धारित तो होती है। यदि समय अनुसार कोई भी कार्य करते हैं तो उसका आम जिंदगी पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। सनातन धर्म में दान करने को एक अलग पुण्य माना गया है। हर शुभ कार्य के दौरान दान देना पुण्य के समान हो जाता है और कहते हैं पुण्य करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
जैसा कि हम जानते हमारी जिंदगी में आने वाली नकारात्मक समस्याएं से निपटने के लिए हम पूजा पाठ एवं दान पुण्य करने लगते हैं परंतु अगर ऐसा शुरुआत से ही किया जाए तो नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम हो जाता है। दान करने से घर में सुख शांति होती है और जीवन में सुकून होता है। दान के रुप में चाहे हम किसी निर्धन की मदद करें या किसी गरीब को भोजन भी खिलाएं तो यह पुण्य हो जाता है। अधिकतर लोग सुबह घूमने जाते हैं तो उन्हें गाय के लिए रोटी और बाबू नदी किनारे जाएं तालाब के पास जाएं तो थोड़ा सा आटा मछलियों के लिए ले जाना चाहिए।
वास्तु शास्त्र में सूर्य अस्त के बाद को चीजों का दान वर्जित माना गया है। वैसे हम किसी भी समय दान की प्रक्रिया चालू रख सकते हैं परंतु जब सूर्यास्त हो जाए तो कुछ चीजों का दान करना वर्जित होता है। यदि हम सूर्य अस्त के बाद दान करते हैं अथवा सामने रहने वाले पड़ोसी सामग्री देते हैं तो इस पर घर में विराजमान मां लक्ष्मी रूष्ट हो जाती हैं। हमारे घर में दुख एवं संकट और आर्थिक समस्याएं जैसे घटनाएं घटने लगती हैं।
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