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जानिए क्यों धारण किया जाता है गोमेद ? क्या है इससे जुड़े विशेष लाभ

ak.gudiya1998@gmail.com ak.gudiya1998@gmail.com Myjyotish Updated Tue, 25 Jan 2022 01:01 PM IST
gomed stone
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विस्तार
  • गोमेद राहु का रत्न है, अर्थात इनके स्वामी राहु ग्रह हैं।
  • संस्कृत में रत्न को गोमेदक, पिग स्फटिक, राहु रत्न कहते हैं। हिंदी में इसे गोमेद व अंग्रेजी में जिरकॉन के नाम से जानते हैं।
  • इसका रंग पीला सा गोमूत्र की तरह का होता है। इसके साथ ही यह श्यामल मिश्रित मधु की झांई की तरह भी दिखता है।
  • यह आम तौर पर सिंधु नदी के किनारे, म्यांमार, चीन और अरब देखों में पाया जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार दैत्यराज बलि का वीर्य जो हिम पर्वत के उत्तर भाग में गिरा, उसी से गोमेद का जन्म हुआ है। एक दूसरी कथा के अनुसार गोमेद दैत्यराज बलि के मेदा से उत्पन्न हुआ है। यह रत्न श्रीलंका, थाईलैंड, भारत, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों में पाया जाता है। लेकिन श्रीलंका और भारत के गोमेद को उत्तम कोटि का माना जाता है।

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