myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   ashtami vrat mahatva married women puja vidhi significance

जानिए महिलाएं क्यों करती है अष्टमी का व्रत व क्या है इसका महत्व और पूजा विधि

My jyotish expert Updated 29 Oct 2021 12:29 PM IST
Ahoi ashthami vrat mahatva
Ahoi ashthami vrat mahatva - फोटो : google
विज्ञापन
विज्ञापन
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को व्रत रखा जाता है। इस दिन अहोई माता, भगवान शंकर और पार्वती की पूजा की जाती है। यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए एवं संतान की सुख शांति हेतु रखा जाता है। वृत्त के द्वारा संतान की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन, सफल जीवन की कामना की जाती है।
हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन मां पार्वती की हुई के रूप में पूजा की जाती है। इस वर्ष यह व्रत 28 अक्टूबर को रखा जाएगा। अहोई अष्टमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 39 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट तक है।

आसानी से देखिए अपनी जन्म कुंडली मुफ़्त में, यहाँ क्लिक करें

इस व्रत में सभी माताएं अपनी संतान की सुरक्षा हेतु निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत में सही माता की पूजा की जाती है। अष्टमी पर माताएं चांदी की माला भी पहनती हैं जिसमें हर साल दो चांदी के मोती जोड़ लेती हैं। अहोई अष्टमी व्रत में बहुत नियमों का पालन भी किया जाता है और इस व्रत में जो महिला उपवास रहती है,वह सब्जी चाकू से तक नहीं काट सकती।

पूजा करने की विधि

हमारे घर में जहां पर पूजा स्थल है वहां पर अहोई माता की तस्वीर लगाएं। एक थाली लेकर उसमें रोली,चावल और कटोरी में दूध ले ले। तत्पश्चात पूजन की प्रक्रिया शुरू करें। एक कलश में जल लेकर सभी माताएं अहोई अष्टमी कथा पढ़ना प्रारंभ करें। अहोई माता को मिठाई का भोग लगाएं इसके बाद रात्रि में तारे को अघ्र्य देकर संतान की लंबी उम्र और सफल जीवन की प्रार्थना करें। पूजा करने के बाद माताएं अन्य ग्रहण करती हैं और इस ग्रुप में अपनी से बड़ी बुजुर्ग महिला को उपहार अथवा दान देती हैं।

अष्टमी का व्रत का महत्व

अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के व्रत के 3 दिन बाद रखा जाता है। करवा चौथ का व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है उसी तरह अष्टमी का व्रत संतान की दीर्घायु और एक सुखी जीवन के लिए रखा जाता है। इस दिन सभी महिलाएं निर्जला व्रत रखकर संतान की सुख शांति समृद्धि के लिए पूजा करती हूं। अहोई माता प्रसन्न होने से वह अपने पुत्रों की तरह रक्षा करती हैं और संतान का सुख का आशीर्वाद देती हैं। हिंदू धर्म में इसकी काफी मान्यता है।

यह व्रत करने से संतान के जीवन में सुख का आगमन शुरू हो जाता है। संतान के जीवन में आने वाली समस्याएं दूर हो जाती हैं। माता रानी अति प्रसन्न होकर आपके ऊपर श्रद्धा करती हैं तो संतान की सुरक्षा एवं हर क्षेत्र में संतान का लाभ होता है। इनके आशीर्वाद से कई सालों से परेशान माताएं जिन्हें संतान की प्राप्ति नहीं होती उन्हें जल्द ही संतान का सुख देखने को मिल जाता है।

जीवन के संकटों से बचने हेतु जाने अपने ग्रहों की चाल, देखें जन्म कुंडली

दरिद्रता से मुक्ति के लिए ज़रूरी है अपने ग्रह-नक्षत्रों की जानकारी, देखिए अपनी जन्म कुंडली मुफ़्त में

आपके स्वभाव से लेकर भविष्य तक का हाल बताएगी आपकी जन्म कुंडली, देखिए यहाँ

 
  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X