क्यू होती है कांवड़ यात्रा
सावन का महीना हिंदी वर्ष के अनुसार पाँचवां महीना होता है जो की भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार देवताओं और दानवों ने जब समुद्र मंथन किया था और सागर के गर्भ से हलाहल प्रकट हुआ था तब भगवान शिव ने उसे पी कर समस्त सृष्टि को विनाश से बचाया था। मान्यता है कि यह घटना सावन के महीने में हुई थी और तब इंद्र देव ने महादेव के शरीर को जो की विष के ताप से जल रहा था उसे शीतलता पहुँचाने के लिए भारी वर्षा की थी। तब से यह प्रथा चल पड़ी की सावन में महादेव को शीतलता प्रदान करने के लिए उनके भक्तगण जल अर्पित करते हैं।
हर साल अंग्रेज़ी कैलेंडेर के अनुसार जुलाई में श्रावण का महीना आते ही कांवड़ यात्रा शुरू हो जाती है, जो अमूमन अगस्त की शुरूआत तक चलती है। इस एक पखवाड़े के दौरान उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों से लाखों शिव भक्त गंगा जल लेने के लिए हरिद्वार या अन्य स्थान जहां उत्तराइन गंगा बहती है वहाँ जाते हैं। गंगा जल से भक्तगण अपने गांवों और घरों में शिव मंदिरों में 'जलाभिषेक' करते हैं। झारखंड स्थित देवघर में इस दौरान जलाभिषेक करने के लिए लाखों की भीड़ पहुँचती है।
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