Holi ka mahatva
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विष्णु पुराण के अनुसार कुछ समय बाद हिरण्यकश्यप को एक पुत्र की प्राप्ति होती है जो भगवान विष्णु का भक्त होता है जिसे हिरण्यकश्यप बहुत समझता है किन्तु वो अपने पिता की बात नहीं मानता जिसे क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप प्रहलाद को मराने के क ई प्रयत्न करता है किन्तु भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं होता है तब हिरण्यकश्यप की बहन होलिका जिसे भगवान ब्रह्मा से ये वरदान प्राप्त है कि अग्नि उसे छु भी नहीं पाएगी वो अपने भाई को ये सुझाव देती है कि फाल्गुन की पूर्णिमा को में प्रहलाद को अग्नि में लेकर बैठुगी मुझे वरदान प्राप्त है योजना अनुसार सभी कार्य विधि पूर्वक होता है परन्तु भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद को अग्नि स्पर्श भी नहीं कर पाती और होलिका का वरदान अभिशाप में बदला जाता है और वो अग्नि में भस्म हो जाती है।