भगवान शिव ने दिया था वरदान कि प्रथम आराध्य होंगे भगवान गणेश
शिवमहापुराण की कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती ने अपने मैल से एक बालक को उत्पन्न किया। उन्होंने उसे निर्देश दिए कि वो स्नान करने जा रही हैं किसी को भी प्रवेश मत करने देना। बालक गणेश उस आज्ञा का पालन कर रहे थे संयोगवश उसी समय भगवान शिव का आगमन हुआ तो गणेश जी ने उन्हें रोक दिया शिव जी ने कहा कि पार्वती जी उनकी पत्नी हैं। काफी कहासुनी के बाद भगवान शिव को क्रोध आगया उन्होंने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। जब माता पार्वती को इस घटना के बारे में पता चला तो उन्होंने रौद्र रूप धारण कर लिया और भगवान शिव से कहा कि वो तब ही वहां से जाएंगी जब उनका पुत्र जीवित होगा। शिव जी के साथ सभी देवता उन्हें मनाने लगे पर वो नही मानी। शिव जी ने विष्णु जी से कहा कि ऐसे बालक का सिर का प्रबंध करें जिसकी मां उसकी तरफ पीठ कर के सो रही हो। शिव जी के ऐसा कहने पर खोज शुरू हुई और एक हथिनी का बच्चा मिला उसका सिर लाया गया। शिव जी ने वो सिर लगाकर गणेश जी को जीवित कर दिया। माता पार्वती ने कहा कि ऐसे रूप में कौन मेरे पुत्र की पूजा करेगा। तब भगवान शिव ने आशीर्वाद दिया कि जब भी कभी पूजा होगी तो सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा होगी। आज भी जब भी कोई पूजा होती है सर्वप्रथम भगवान गणेश का स्मरण किया जाता है ऐसा न करने से पूजा सफल नही होती है।
आपके स्वभाव से लेकर भविष्य तक का हाल बताएगी आपकी जन्म कुंडली, देखिए यहाँ