ग्रह स्वर्गीय पिंड हैं जो सूर्य के चारों ओर अपनी परिक्रमा में घूम रहे हैं। उनके गतिविधि का समय के साथ अध्ययन किया गया है और प्रयोगों द्वारा इसकी पुष्टि की गई है। वे हमारे सौर मण्डल की संरचना में देखे जा सकते हैं। इन ग्रहों में से प्रत्येक में लगभग एक गोलाकार आकार, विभिन्न आकार और विभिन्न द्रव्यमान हैं और समय के साथ उनका वातावरण बदलता रहता है।
इन सभी में अलग-अलग रासायनिक संरचना होती है, जो विभिन्न ऊर्जाओं के विकिरणों और ऊर्जा के अन्य रूपों के श्रोत में उत्सर्जित करती है जो पृथ्वी की ऊर्जाओं को प्रभावित करती है जिसमें हम रह रहे हैं, इस प्रकार जीवन की पूरी प्रणाली को प्रत्यक्ष तरीके से प्रभावित करते हैं।
अक्षय तृतीया पर कराएं मां लक्ष्मी का श्री सूक्तम पाठ एवं हवन, होगी अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति - अंबाबाई महालक्ष्मी कोल्हापुर, 14 मई 2021
ग्रहों, क्षुद्रग्रहों या किसी अन्य खगोलीय पिंड की ऊर्जा से मनुष्यों और सभी जीवन बलों के व्यवहार में परिवर्तन होता है। इसलिए ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से ग्रहों के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है और नियमित आधार पर घटनाओं की भविष्यवाणी की जाती है।
ज्योतिष में ग्रह मुख्य मूलभूत अंग हैं और चित्र में ग्रहों की स्थिति के आधार पर परिणामों की परिदान दी जाती है। पृथ्वी पर हर स्थिति या व्यवहार किसी एक ग्रह या ग्रहों के संयोजन द्वारा शासित होता है और इसे जन्म कुंडली या जन्मपत्री के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है। जबकि ग्रहों के प्रभाव के कूटवाचन के लिए विमशोत्री दशा प्रणाली सबसे लोकप्रिय प्रणाली है। कुल मिलाकर ग्रह ज्योतिष शास्त्र की रीढ़ हैं, उनके बिना भविष्यवाणियां परिशुद्ध नहीं हो पाती है। हर ग्रह की अपनी अलग विशेषताएं होती हैं जो व्यक्तियों को सोचने और अन्य पहलुओं को भी समझाती हैं।
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