● क्रोध: आचार्य चाणक्य के अनुसार मनुष्य के क्रोध से बड़ा कोई शत्रु नहीं है। क्योंकि क्रोधित होने पर व्यक्ति सोचने और समझने की शक्ति पूरी तरह से खो देता है। इसलिए विद्यार्थियों को हमेशा क्रोध से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
जन्माष्टमी स्पेशल : वृन्दावन बिहारी जी का माखन मिश्री भोग