वर्ष 2021 की शुरुआत में, बृहस्पति, गुरु के रूप में भी जाना जाता है, शनि-शासित संकेत, मकर राशि में प्रवेश किया जाएगा, और मंगलवार, 6 अप्रैल को मकर राशि से कुंभ राशि में शाम 6:01 बजे पारगमन होगा। यह बुधवार, 15 सितंबर तक, प्रतिगामी हो जाएगा और सुबह 4:22 बजे एक बार फिर मकर राशि में प्रवेश करेगा। यह ग्रह 20 नवंबर, शनिवार को सुबह 11:23 बजे फिर से सीधा पोस्ट बन जाएगा और मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। बृहस्पति अपनी चाल को बदल रहा है, इसकी गति अतिचारी हो गई है। इसी कारण यह कुम्भ राशि में प्रवेश कर रहे हैं।
एक राशि में लगभग बृहस्पति का 13 महीने भ्रमण होता है। बता दें कि कुंभ राशि में यह 21 दिन तक भर्मण करेंगे और उस दिन बृहस्पति में एक और परिवर्तन आएगा यानी वक्री हो जाएगा। यहां वक्री का मतलब है कि बृहस्पति की गति तेज या धीमी हुई तो उसके सापेक्ष गति की गणना की जाती है।
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जब यह वक्री होता है तो इसका बहुत ही अलग प्रभाव भी होता है। इसके बाद यह 14 सितंबर को दोबारा से मकर में प्रवेश करेगा और मकर में 18 अक्टूबर को फिर से मार्गी होगा। इसके बाद यह 21 नवंबर को फिर से 13 महीनों के लिए यह कुम्भ में जाएगा।
बता दें कि बृहस्पति आपके स्वास्थ का कारक , धन का कारक, संतान, भाग्य, कर्म का कारक भी माना जाता है और जब अशुभ भाव में यह जाएगा तो यह सभी चीजें प्रभावित होंगी। इसमें सुख और शांति की भी कमी होती है , स्वास्थ में भी परिवर्तन आ जाती है। गुरु का शनि के घर में जाना यानी शनि की कृपा और बनेगी। जब भी कोई गृह नीच राशि को छोड़ कर अगली राशि में जाता है तो ऐसा माना जाता है कि उसके शुभ फलों में वृद्धि होती है ।
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