भगवान विष्णु ने धर्म की रक्षा के लिए धरती पर अपने विभिन्न स्वरूपों में जन्म लिया है। जब-जब मानव संसार में अधर्म की वृद्धि हुई है तब-तब भगवान स्वयं आकर सभी को धर्म का पाठ पढ़ाकर गए हैं। इनकी कृपा से व्यक्ति का मार्ग सफलता की ओर बढ़ता है। उसके द्वारा किए गए कार्य कभी विफल नहीं होते। नारायण का आशीर्वाद सदैव उस व्यक्ति के साथ रहता है। जो कोई भी सच्चे मन से इनकी पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है तथा उसके कोई कार्य कभी विफल नहीं होते हैं।
छिन्नमस्तिका जयंती पर बिष्णुपुर के छिन्नमस्ता मंदिर में कराएं अनुष्ठान और पाएं कर्ज से मुक्ति : 7-मई-2020
प्राचीन काल की एक कथा के अनुसार एक राजा के पास किसी प्रकार की सुख - संपत्ति का कोई आभाव नहीं था। वह सकुशल अपना जीवन सुविधाओं के साथ व्यतीत कर रहा था। उसके जीवन में केवल एक कमी थी की उसकी कोई संतान नहीं थी। अनेकों पूजा-पाठ करने के बाद भी उसके मन की इच्छा पूर्ण नहीं हो पा रही थी। तब एक योग्य ऋषि के कहने पर उस राजा ने गुरूवार के दिन नारायण की पूजा का आरंभ किया। राजा की श्रद्धा देख नारायण बहुत प्रसन्न हुए तथा उसका महल जल्दी ही एक नन्हें बालक की किलकारी से गूंज उठा। तभी से राजा नियमित रूप से नारायण की आरधना करने लगा।
नारायण की आराधना के लिए गुरूवार के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान आदि संपन्न करना चाहिए। इस दिन पीले वस्त्रों को धारण करना चाहिए। नारायण को गुड़ और चने का भोग लगाकर स्वयं उपवास का संकल्प करना चाहिए। इस दिन यदि अन्न ग्रहण करें तो ध्यान रखना चाहिए की व्यक्ति केवल पीला भोजन ग्रहण करे। केले के पेड़ में जल अर्पण करना चाहिए।
यह भी पढ़े :-
जानिए देवी बगलामुखी कैसे करती हैं नकारात्मक शक्तियों का सर्वनाश
जानिए माँ बगलामुखी कैसे कहलाईं सर्वशक्तिशाली व राजयोग की देवी
जानिए भगवती भवानी कैसे करेंगी अपने भक्तों का उद्धार