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नारायण की आराधना से होती है संतान सुख की प्राप्ति

MyJyotish Expert Updated 01 May 2020 05:53 PM IST
Worshiping Narayana gives children happiness
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नारायण वैदिक काल से ही सर्वोच्च संसार की शक्ति के रूप में माने गए हैं। विष्णु पुराण के अनुसार माना जाए तो भगवान विष्णु निराकार परंब्रह्म है जिनको वेदों में ईश्वर कहा गया है। भागवत पुराण में देव के रूप में भगवान विष्णु को सर्वाधिक मान्यता प्रदान की गई है। तथा समस्त पुराणों में भागवत पुराण को सबसे अहम माना गया है इसलिए विष्णु जी का स्थान त्रिदेवों के अन्य देवों से थोड़ा अधिक माना जाता है। ऋग्वेद जैसे अन्य महत्वपूर्ण वेदों में भगवान विष्णु को सूक्त पाठ समर्पित किए गए हैं। धन की देवी लक्ष्मी जी इनकी पत्नी हैं तथा कामदेव इनके पुत्र।



भगवान विष्णु ने धर्म की रक्षा के लिए धरती पर अपने विभिन्न स्वरूपों में जन्म लिया है। जब-जब मानव संसार में अधर्म की वृद्धि हुई है तब-तब भगवान स्वयं आकर सभी को धर्म का पाठ पढ़ाकर गए हैं। इनकी कृपा से व्यक्ति का मार्ग सफलता की ओर बढ़ता है। उसके द्वारा किए गए कार्य कभी विफल नहीं होते। नारायण का आशीर्वाद सदैव उस व्यक्ति के साथ रहता है। जो कोई भी सच्चे मन से इनकी पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है तथा उसके कोई कार्य कभी विफल नहीं होते हैं।

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प्राचीन काल की एक कथा के अनुसार एक राजा के पास किसी प्रकार की सुख - संपत्ति का कोई आभाव नहीं था। वह सकुशल अपना जीवन सुविधाओं के साथ व्यतीत कर रहा था। उसके जीवन में केवल एक कमी थी की उसकी कोई संतान नहीं थी। अनेकों पूजा-पाठ करने के बाद भी उसके मन की इच्छा पूर्ण नहीं हो पा रही थी। तब एक योग्य ऋषि के कहने पर उस राजा ने गुरूवार के दिन नारायण की पूजा का आरंभ किया। राजा की श्रद्धा देख नारायण बहुत प्रसन्न हुए तथा उसका  महल जल्दी ही एक नन्हें बालक की किलकारी से गूंज उठा। तभी से राजा नियमित रूप से नारायण की आरधना करने लगा।

नारायण की आराधना के लिए गुरूवार के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान आदि संपन्न करना चाहिए। इस दिन पीले वस्त्रों को धारण करना चाहिए। नारायण को गुड़ और चने का भोग लगाकर स्वयं उपवास का संकल्प करना चाहिए। इस दिन यदि अन्न ग्रहण करें तो ध्यान रखना चाहिए की व्यक्ति केवल पीला भोजन ग्रहण करे। केले के पेड़ में जल अर्पण करना चाहिए।

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