सोमवार का दिन भगवान शिव के आराधना का दिन माना गया है। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं। शिव को रूद्र अर्थात रुत कहा गया है जो की सभी के दुःखों को हर लेते हैं। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की उपासना करना अत्यंत ही लाभकारी होता है। नारद पुराण के अनुसार सोमवार के दिन व्रत रखने से महाकाल बहुत प्रसन्न होते हैं। इस दिन प्रातः उठकर स्नान आदि कर लेना चाहिए। उसके बाद शिव एवं शक्ति की पूजा करनी चाहिए। महादेव को बेलपत्र बहुत अच्छा लगता है इसलिए भक्तों को महाकाल पर बेलपत्र जरूर चढ़ाना चाहिए।
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कथाओं के अनुसार किसी नगर में एक साहूकार रहता था। उसे धन संपत्ति की तो कोई कमी नहीं थी, परन्तु एक चीज़ सदैव उसके मन को दुखी कर देती थी। जो की यह थी की उस साहूकार की कोई संतान नही थी। पुत्र प्राप्ति के लिए वह प्रत्येक सोमवार को सच्चे मन से उपवास कर महादेव के मंदिर शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए जाता था। उस साहूकार की भक्ति देख माँ पार्वती प्रसन्न हो गयीं। उन्होंने भगवान शिव से उसकी मनोकामना पूर्ण करने का आग्रह किया।
कहते है भाग्य से बढ़कर किसी को कुछ प्राप्त नही होता परन्तु यदि भक्ति सच्ची हो तो मृत्यु का भय भी टल जाता है। महादेव ने साहूकार के पुत्र को केवल 12 वर्ष की आयु प्रदान की थी। लेकिन साहूकार की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना को देख शिव प्रसन्न हो कर साहूकार के स्वपन्न में आते है तथा उसे बतातें है की जो कोई भी सच्चे मन से उनसे मनोकामना मांगता है उसकी इच्छाएं अवश्य ही पूर्ण होती हैं तथा उसपर महादेव की कृपा भी सदैव बनी रहती है। इसलिए सोमवार के दिन महादेव की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
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